जेठ जी से ख्वाहिश पूरी की

मेरा नाम रानी है, उम्र 25 साल, और मैं एक ऐसी देसी भाभी हूँ जिसके हुस्न की चर्चा पूरे गाँव में है। मेरा रंग गोरा, जैसे दूध की मलाई, और मेरी चूचियाँ भारी, रसीली और टाइट, जो हर मर्द की नज़र को अपनी ओर खींच लेती हैं। मेरी गांड मोटी, गोल और मटकती हुई, हर कदम पर लचकती है, और मेरी कमर इतनी पतली कि मर्दों के हाथ उस पर लिपटने को बेताब हो जाएँ। मेरे होंठ गुलाबी और रस से भरे हैं, और मेरी आँखों में वो नशीली चमक है जो किसी को भी पागल बना दे। मैं हरियाणा के एक गाँव में अपने पति, वीरेंद्र, और अपने जेठ, बलदेव, के साथ रहती हूँ। वीरेंद्र खेतों में काम करता है और अक्सर देर रात तक घर नहीं आता। बलदेव, उम्र 38 साल, साँवला, मज़बूत और जंगली मर्द है। उसकी चौड़ी छाती, मोटी बाँहें और गहरी आँखें मुझे हमेशा बेकरार कर देती थीं। ये कहानी उस रात की है जब बलदेव ने मेरी बूर को चोदकर मेरी ख्वाहिश पूरी कर दी।

सावन का महीना था, और गाँव में बारिश की फुहारें छाई हुई थीं। रात के 10 बजे थे, और मैं अपने कमरे में एक पतली सी साड़ी लपेटे चारपाई पर लेटी थी। साड़ी मेरे जिस्म से चिपक रही थी, और मेरी चूचियाँ बिना ब्लाउज़ के बाहर आने को बेताब थीं। मेरी गांड चारपाई पर लचक रही थी, और मेरे गीले बाल मेरे चेहरे पर बिखरे हुए थे। वीरेंद्र उस रात अपने दोस्त के यहाँ गया था, और घर में सिर्फ मैं और बलदेव थे। मैं करवटें बदल रही थी, लेकिन नींद नहीं आ रही थी। मेरी बूर में एक अजीब सी खुजली हो रही थी, और मेरे दिमाग में गंदे-गंदे ख्याल आने लगे। मैंने सोचा, थोड़ा पानी पी लूँ। मैं उठी और आंगन की ओर चली गई, जहाँ मिट्टी का घड़ा रखा था।

आंगन में हल्की बारिश हो रही थी, और मैं पानी पीने लगी। जैसे ही मैं पानी पी रही थी, मुझे पीछे से किसी की भारी साँसें महसूस हुईं। मैंने मुड़कर देखा तो बलदेव वहाँ खड़ा था। उसने सिर्फ एक धोती बाँध रखी थी, और उसकी चौड़ी छाती बारिश के पानी से चमक रही थी। उसकी आँखों में एक भूख थी, जो मैं पहले भी कई बार देख चुकी थी। मैंने शरमाते हुए कहा, “जेठ जी, आप यहाँ? सोए नहीं?” वो मेरे करीब आया और बोला, “रानी, तुझे इस साड़ी में देखकर नींद कैसे आएगी? तू तो गाँव की सबसे मस्त माल है।”

उसकी बात ने मेरी बूर में आग लगा दी। मैंने मज़ाक में कहा, “जेठ जी, ये क्या बोल रहे हैं? मैं तो आपकी भाभी हूँ!” वो हँसा और बोला, “भाभी, तेरी इस मोटी गांड और रसीली चूचियों को देखकर मेरा लंड तड़प रहा है।” मैं शरमाई, लेकिन मेरी बूर गीली हो चुकी थी। उसने मेरी साड़ी का पल्लू खींच लिया, और मेरी नंगी चूचियाँ चमक उठीं। मैंने ब्लाउज़ नहीं पहना था, और मेरे निप्पल सख्त और गुलाबी थे। मैंने अपने हाथों से चूचियाँ छिपाने की कोशिश की, लेकिन उसने मेरे हाथ हटा दिए और बोला, “रानी, इन चूचियों को छिपाने की ज़रूरत नहीं। ये तो मेरे लिए बनी हैं।”

मैंने विरोध करने की कोशिश की, “जेठ जी, ये गलत है!” लेकिन मेरी हवस ने मेरे दिमाग को धोखा देना शुरू कर दिया। उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए, और मैं उसके चुम्बन में डूब गई। उसका चुम्बन रूखा और जंगली था, और मैं उसकी जीभ चूसने लगी। मैं सिसक उठी, “आह्ह… जेठ जी, ये क्या कर रहे हो?” उसने मेरी साड़ी पूरी खींच दी, और मैं सिर्फ पेटीकोट में थी। उसने एक चूची को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा। मैं चीख पड़ी, “उफ्फ… धीरे, मेरी चूचियाँ दुख रही हैं!” उसकी जीभ मेरे निप्पल पर नाच रही थी, और उसका दूसरा हाथ मेरी दूसरी चूची को मसल रहा था। मेरी बूर से रस टपकने लगा, और मैं तड़प रही थी।

उसने मुझे आंगन की चारपाई पर लिटा दिया और मेरा पेटीकोट खींचकर फेंक दिया। मेरी चिकनी, गीली बूर उसके सामने थी। वो बोला, “रानी, तेरी बूर तो शहद की तरह है!” उसने मेरी बूर पर अपनी जीभ रखी, और मैं चीख पड़ी, “आह्ह… चाटो, मेरी बूर प्यासी है!” उसकी जीभ मेरी बूर की गहराइयों में उतर गई, और मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… और ज़ोर से चाट, जेठ जी!” मेरा रस उसके मुँह में बह रहा था, और मेरी सिसकियाँ आंगन में गूँज रही थीं। मैंने उसका सिर पकड़ा और अपनी बूर पर दबा दिया। मैं चीख रही थी, “आह्ह… चूस डाल इसे!”

उसने अपनी धोती खोल दी, और उसका मोटा, काला लंड मेरे सामने था। वो इतना बड़ा और रसीला था कि मेरी आँखें फटी रह गईं। मैंने उसे सहलाया, और वो सिसक उठा, “रानी, तू तो रंडी है!” मैंने उसका लंड अपने मुँह में लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी। उसका मोटा टोपा मेरे गले तक जा रहा था, और मैं उसकी गर्मी को महसूस कर रही थी। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… तेरा लंड रसीला है!” उसने मेरे बाल पकड़े और मेरा मुँह चोदने लगा। मैं चीख रही थी, “आह्ह… और ज़ोर से!”

उसने मुझे चारपाई पर घोड़ी बनाया। मेरी मोटी गांड उसके सामने थी, और उसने उस पर एक ज़ोरदार थप्पड़ मारा। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… और मार!” उसने मेरी गांड पर और थप्पड़ मारे, और मेरी गांड लाल हो गई। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… मेरी गांड जल रही है!” उसने अपने लंड पर थूक लगाया और मेरी बूर में डाल दिया। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… जेठ जी, मेरी बूर फट गई!” वो ज़ोर-ज़ोर से ठाप मारने लगा, और मेरी चूचियाँ हवा में उछल रही थीं। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… और ज़ोर से चोद, मेरी बूर को फाड़ दे!”

उसकी ठापों से चारपाई हिल रही थी, और मेरी बूर से रस की धार बह रही थी। वो मेरी चूचियाँ मसल रहा था, और मैं चीख रही थी, “आह्ह… मेरी चूचियाँ नोच डाल!” उसने मेरे निप्पल काटे, और मैं तड़प रही थी, “उफ्फ… और काट!” फिर उसने मुझे अपनी गोद में उठाया और मेरी बूर में ठाप मारने लगा। मैं उसके कंधों पर थी, और मेरी चूचियाँ उसके मुँह में थीं। वो मेरे निप्पल चूस रहा था, और मैं चीख रही थी, “आह्ह… और चूस!” उसकी ठापें इतनी तेज थीं कि मेरा जिस्म काँप रहा था। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… तेरा लंड मेरी बूर को जन्नत दिखा रहा है!”

उसने मुझे चारपाई पर लिटाया और मेरी गांड में लंड डालने की कोशिश की। मैं डर गई और बोली, “जेठ जी, मेरी गांड मत मार!” वो हँसा और बोला, “रानी, आज तेरी गांड भी चोद दूँगा।” उसने मेरी गांड पर तेल डाला और धीरे-धीरे अपना लंड डाला। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… मेरी गांड फट गई!” वो धीरे-धीरे ठाप मारने लगा, और दर्द धीरे-धीरे मज़े में बदल गया। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… और ज़ोर से, मेरी गांड को रगड़ डाल!” उसकी ठापों से मेरी गांड जल रही थी, और मेरी बूर से रस टपक रहा था।

फिर उसने मुझे फिर से लिटाया और मेरी बूर में ठाप मारने लगा। मैं चीख रही थी, “जेठ जी, मेरी बूर को फाड़ डाल!” वो ज़ोर-ज़ोर से ठाप मार रहा था, और मेरी सिसकियाँ आंगन में गूँज रही थीं। मैंने कहा, “जेठ जी, मेरे मुँह में डाल!” उसने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया, और मैं उसे ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… तेरा लंड रस से भरा है!” उसकी गर्मी मेरे मुँह में फैल रही थी, और मैं पागल हो रही थी।

वो फिर से मेरी बूर में ठाप मारने लगा। मैं चीख रही थी, “जेठ जी, मेरी बूर को रगड़ डाल!” वो सिसक रहा था, “रानी, तेरी बूर मेरे लंड की रानी है!” उसने तेज-तेज ठाप मारी, और मैं काँप रही थी। मैं चीख रही थी, “आह्ह… और ज़ोर से!” उसकी ठापों से मेरा जिस्म थरथरा रहा था, और मेरी बूर रस से लबालब थी। उसने कहा, “रानी, मैं झड़ने वाला हूँ!” मैं चीख पड़ी, “जेठ जी, मेरी बूर में झड़ जा!” उसने एक ज़ोरदार धक्का मारा, और उसका गर्म माल मेरी बूर में फव्वारे की तरह छूट गया।

मैं काँपते हुए चारपाई पर पड़ी थी, और मेरा जिस्म पसीने और रस से तर-बतर था। बलदेव हाँफ रहा था, और उसका माल मेरी बूर से बह रहा था। उसने मेरे माथे पर चूमा और बोला, “रानी, तू मस्त माल है।” मैं हँसते हुए बोली, “जेठ जी, तेरा लंड जादुई है।” उस रात हमने फिर दो बार चुदाई की—एक बार मेरी गांड में, और एक बार मेरे मुँह में। सुबह तक मेरा जिस्म थक चुका था, लेकिन मेरी बूर बलदेव के लंड की दीवानी हो गई थी।

उसके बाद बलदेव को मेरी बूर चोदने की आदत लग गई। जब भी वीरेंद्र खेतों में या बाहर जाता, बलदेव मेरी बूर और गांड को चोदता। कभी आंगन में, कभी खेतों में, और कभी किचन में। सावन की वो रात मेरे लिए एक नई हवस की शुरुआत थी। मैं अब भी बलदेव के लंड को याद करती हूँ, और मेरी बूर उसकी ठापों के लिए तरसती है।

Loading

0
0

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

The maximum upload file size: 64 MB. You can upload: image, audio, video, document, spreadsheet, interactive, text, archive, code, other. Links to YouTube, Facebook, Twitter and other services inserted in the comment text will be automatically embedded. Drop file here