माँ की जागी वासना चोद के की कामना पूरी

मेरी मां मेरा खूब ख्याल रखती थी। मेरा दिल करता था की मां को नंगा करके खूब प्यार करूँ। फिर मैंने कोशिश करने का निर्णय लिया।

मेरे घर मे में, मेरी माँ, मेरी पत्नी और मेरी बहन है, मेरी बहन की शादी हो चुकी है और वो अपने ससुराल मे रहती है। में अपनी माँ और पत्नी के साथ यहाँ कोलकाता मे रहता हूँ, हम लोग बनारस (उ.प.) से यहाँ बचपन मे ही आ गये थे और यही बस गये. मेरी उम्र 35 साल की है और मेरी पत्नी 32 की है. मेरी सास और मेरी साली अभी भी बनारस के पास एक गांव मे रहते है. और साल मे 2-3 महीने हमारे यहाँ आते है. सच पूछो तो मेरा घर एक स्वर्ग है, जहाँ किसी भी तरह की कोई मना नही, में आपको शुरू से ही ये सारी बातें बताता हूँ।

यह बात मेरे बचपन की है, घर पर मेरी माँ, मेरी दीदी और में सब साथ रहते थे, मेरी उम्र करीब 18-19 के आस पास थी. मेरी लंबाई 5’7″ की है. मेरी दीदी की उम्र 18 साल हे, उसकी स्पोर्ट्स मे रूचि थी और वो स्टेडियम जाती थी. मेरी माँ टीचर है, उसकी उम्र 37-38 की होगी, मगर देखने मे किसी भी हालत मे 31-32 से ज्यादा की नही लगती थी. माँ और दीदी एकदम गोरे है. माँ मोटी तो नही लेकिन भरे शरीर वाली थी और कुल्हे उनके चलने पर हिलते थे. उनकी शादी बहुत जल्दी हो गयी थी, मेरी माँ बहुत सुंदर और हँसमुख है।

वो जिंदगी का हर मज़ा लेने मे विश्वास रखती है, हालाकि वो सबसे ओपन नहीं होती है पर मैने उसे कभी किसी बात पर गुस्सा होते हुए नही देखा. ये बात उस समय की जब मैं 9th मे था और हर चीज के बारे मे मेरी इच्छा बढ़ रही थी स्पेशली सेक्स के बारे मे. soyi maa ki jagti kamna

मेरे स्कूल के दोस्त अक्सर लड़की पटा कर मस्त रहते थे उन्ही मे से दो तीन दोस्तो ने अपने परिवार के साथ सेक्स की बाते भी बताई तो मुझे बड़ा अज़ीब लगा. मैने माँ को कभी उस नज़र से नही देखा था पर इन सब की बातों को सुन-सुन कर मेरे मन मे भी इच्छा बढ़ने लगी और मै अपनी माँ को ध्यान से देखने लगा, चूँकि गर्मियों की छुट्टियाँ चल रही थी और में हमेशा घर पर ही रहता था।

घर मे, में माँ के साथ ही सोता था और दीदी अपने कमरे मे सोती थी, माँ मुझे बहुत प्यार करती थी, माँ, दीदी और में आपस मे थोड़ा खुले हुए थे, हालाकि सेक्स करने की कोई बात तो नही हुई थी पर माँ कभी किसी चीज का बुरा नही मानती थी और बड़े प्यार से मुझे और दीदी को कोई भी बात समझाती थी, कई बार अक्सर उत्तेजना की वजह से जब मेरा लंड खड़ा हो जाता था और माँ की नज़र उस पर पड़ती तो मुझे देख कर धीरे से मुस्कुरा देती और मेरे लंड की तरफ इशारा करके पूछती कोई परेशानी तो नही है, में कहता “नही” तो वो कहती कोई बात नही…

तो में भी मुस्कुरा देता, वो खुद कभी-कभी हम दोनो के सामने बिना शर्माये एक पैर बेड पर रख कर साड़ी थोड़ा उठा देती और अन्दर हाथ डालकर अपनी चूत खुजलाने लगती, नहाते समय या हमारे सामने कपड़े बदलते वक़्त अगर उसका नंगा बदन दिखाई दे रहा हो तो भी कभी भी शरीर को ढकने या छुपाने की ज़्यादा कोशिश नही की, ऐसा नही था की वो जान बुझ कर दिखाने की कोशिश करती हो, क्यों की इन सब के बाद भी मैने उसकी या दीदी की नंगी चूत नही देखी थी, बस वो हमेशा हमे नॉर्मल रहने को कहती और खुद भी वैसे ही रहती थी। soyi maa ki jagti kamna

धीरे धीरे में माँ के और करीब आने की कोशिश करने लगा, और हिम्मत कर के माँ से उस वक़्त पास आने की कोशिश करता जब मेरा लंड खड़ा होता, मेरा खड़ा लंड कई बार माँ के बदन से टच होता पर माँ कुछ नही बोलती थी. इसी तरह एक बार माँ किचन मे काम कर रही थी और माँ की हिलते हुए कुल्ले देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया. मैने अपनी किस्मत आज़माने की सोची और भूख लगने का बहाना करते हुए किचन मे पहुँच गया, और माँ से बोला “माँ भूख लगी है कुछ खाने को दो.. ” और ये कहते हुए माँ से पीछे से चिपक गया,

मेरा लंड उस समय पूरा खड़ा था और मैने अपनी कमर पूरी तरह माँ के कुल्हे से सटा रखी थी जिसके कारण मेरा लंड माँ के कुल्हो के बीच तोडा सा घुस गया था. माँ हंसते हुए बोली “क्या बात है आज तो मेरे बच्चे को बहुत भूख लगी है..” “हां माँ, बहुत ज्यादा, जल्दी से मुझे कुछ दो..” और

मैने माँ को और ज़ोर से पीछे से पकड़ लिया और उनके पेट पर अपने हाथो को कस कर दबा दिया, कस कर दबाने की वज़ह से माँ ने अपने कुल्ले थोड़े पीछे किये जिससे मेरा लंड थोडा और माँ के कुल्हे के बीच मे घुस गया, उत्तेजना की वज़ह से मेरा लंड झटके लेने लगा पर में वैसे ही चिपका रहा और माँ ने हंसते हुए मेरी तरफ देखा पर बोली कुछ नही।

फिर माँ ने जल्दी से मेरा खाना लगाया और थाली हाथ मे लेकर बरामदे मे आ गई, में भी उसके पीछे पीछे आ गया, खाना खाते हुए मैने देखा तो माँ मुझे और मेरे लंड को देख कर धीरे धीरे हंस रही थी, जब मैने खाना खा लिया तो माँ बोली की अब तू जाकर आराम कर में काम कर के आती हूँ… soyi maa ki jagti kamna

पर मुझे आराम कहा था में तो कमरे मे आकर आगे का प्लान बनाने लगा की कैसे माँ को चोदा जाए. क्योंकि आज की घटना के बाद मुझे पूरा विश्वास था की अगर में कुछ करता भी हूँ तो माँ अगर मेरा साथ नही देगी तो भी कम से कम नाराज़ नही होगी, फिर ये ही हरकत मैने 5-6 बार की और माँ कुछ नही बोली तो मेरी हिम्मत बढ़ी।

एक रात खाना खाने के बाद में कमरे मे आकर लाइट ऑफ कर के सोने का नाटक करने लगा, थोड़ी देर बाद माँ आई और मुझे सोता हुआ देख कर थोड़ी देर कमरे मे कपड़े और समान ठीक किया और फिर मेरे बगल मे आकर सो गई

करीब एक घंटे के बाद जब मुझे विश्वाश हो गया की माँ अब सो गयी होगी तो मै धीरे से माँ के ऊपर सरक गया और धीमे धीमे अपना हाथ माँ के कुल्हो पर रख कर माँ को देखा जब माँ ने कोई हरकत नही की तो में उनके कुल्हो को सहलाने लगा और उनकी साड़ी के ऊपर से ही दोनो कुल्हो और गांड को हाथ से धीमे धीमे दबाने लगा। soyi maa ki jagti kamna

जब उसके बाद भी माँ ने कोई हरकत नही की तो मेरी हिम्मत थोड़ी और बढ़ी और मैने माँ की साड़ी को हल्के हल्के ऊपर खिचना शुरु किया, ऊपर करते करते जब साड़ी कुल्हो तक पहुँच गई तो मैने अपना हाथ माँ की कुल्हो और गांड के ऊपर रख कर थोड़ी देर माँ को देखने लगा, पर माँ ने कोई हरकत नही की

फिर में अपना हाथ उनकी गांड के छेड़ से धीरे धीरे आगे की और करने लगा, पर माँ की दोनो जांगे आपस मे सटी हुई थी जिससे में उन्हे खोल नही पा रहा था. फिर मैने अपनी दो उंगलिया आगे की और बड़ाई तो मेरी सास ही रुक गई. मेरी उंगलिया माँ की चूत के ऊपर पहुँच गई थी। soyi maa ki jagti kamna

फिर मैने धीरे धीरे अपनी उंगलियो से माँ की चूत सहलाने लगा, माँ की चूत पर बाल महसूस हो रहे थे, चूँकि मेरे लंड पर भी झांटे थी तो में समझ गया की ये माँ की झांटे है, इतनी हरकत के बाद भी माँ कुछ नही कर रही थी तो मैने धीरे से अपनी पूरी हथेली माँ के चूत पर रख दी और चूत के दोनो होंठो को एक एक कर के छूने लगा, तभी मुझे महसूस हुआ की माँ की चूत से कुछ मुलायम सा चमड़े का टुकड़ा लटक रहा है।

जब मैने उसे हल्के से खींचा तो पता चला की वो माँ की चूत की पूरी लंबाई के बराबर चूत यानी ऊपर से नीचे तक की लंबाई मे बाहर की तरफ निकला हुआ था और जबरदस्त मुलायम था। उस समय मेरा लंड इतना टाइट हो गया था की लगा जैसे फट जाएगा, में धीरे से उठ कर बैठ गया और अपनी शर्ट उतार कर लंड को माँ के कुल्हे से सटाने की कोशिश करने लगा पर कर नही पाया तो में एक हाथ से माँ की चूत मे उंगली डाल कर बाहर निकले चमड़े को सहलाता रहा और दूसरे हाथ से मुठ मारने लगा. soyi maa ki jagti kamna

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2-3 मिनट मे ही मैं झर गया पर जब तक में अपना जूस रोक पाता वो माँ के कुल्हो पर पूरा गिर चूका था, ये देख कर में बहुत डर गया और चुपचाप शर्ट पहन कर माँ को वैसा ही छोड़ कर सो गया. सुबह जब में उठा तो देखा की माँ रोज की तरह अपना काम कर रही थी और दीदी हाकी की प्रेक्टीस जो सुबह 6 बजे ही शुरू हो जाती थी, जा चुकी थी में डरते डरते बाथरूम की तरफ जाने लगा तो माँ ने कहा आज चाय नही मांगी तूने…

तो मैने बात पलटते हुए कहा की “हा पी रहा हूँ, पेशाब कर के आता हूँ..”, जब में बाथरूम से वापस आया तो देखा माँ बरामदे मे बैठी सब्जी काट रही थी और वही पर मेरी चाय रखी हुई थी. में चुपचाप बैठ कर चाय पीने लगा तो माँ मेरी तरफ देख कर हंसते हुए बोली की “आज बड़ी देर तक सोता रहा हां माँ नींद नही खुली..”

तो माँ बोली “एक काम किया कर आज से रात को और जल्दी सो जाया कर..” ये कह कर वो हंसते हुए किचन मे चली गयी. जब मैने देखा की माँ कल रात के बारे मे कुछ भी नही बोली तो में खुश हो गया. उस दिन पूरे दिन मैने कुछ भी नही किया, मेने सोच रखा था की अब में रात को ही सब कुछ करूँगा जब तक या तो माँ मुझसे चुदाई के लिए तैयार ना हो या मुझे डाट नही देती. रात को में खाना खा कर जल्दी से रूम मे आकर सोने का नाटक करने लगा, थोरी देर मे माँ भी दीदी के साथ आ गई। soyi maa ki jagti kamna

उस दिन माँ बहुत जल्दी काम ख़त्म करके आ गई थी, खैर में माँ के सोने का इंतजार करने लगा. थोरी ही देर मे दीदी के जाने के बाद माँ धीरे से बेड पर आकर लेट गई करीब एक घंटे तक लेटे रहने के बाद मैने धीरे से आँखे खोली और माँ की तरफ सरक गया, थोड़ी देर मे जब मैंने बरामदे की हल्की रोशनी मे माँ को देखा तो चौंक गया. माँ ने आज साड़ी की जगह नाईटी पहन रखी थी और उन्होने अपना एक पैर थोडा आगे की तरफ कर रखा था।

फिर मैने सोचा की अगर ये किस्मत से हुआ तो अच्छा है और अगर माँ जानबूझ कर यह कर रही है तो माँ जल्दी ही चुद जाएगी. उस रात मेरी हिम्मत थोड़ी बढ़ी हुई थी, थोड़ी देर नाईटी के ऊपर से माँ का कुल्ले सहलाने के बाद मैने धीरे से माँ की नाईटी के सामने का बटन खोल दिया और उसे कमर तक पूरा हटा दिया और धीरे से माँ के कुल्हो को सहलाने लगा. मैं जांघो को भी सहला रहा था, माँ की कुल्ले और जांघे इतने मुलायम थे की में विश्वास नही कर पा रहा था। soyi maa ki jagti kamna

फिर मैने अपना हाथ उनकी जांगो के बीच डाला तो मैं हैरान रह गया, माँ की चूत एकदम चिकनी थी, उनके चूत पर बाल का नामोनिशान नही था. उनकी चूत बहुत फूली हुई थी और चूत के दोनो होंठ फैले हुए थे शायद एक जांग आगे करने के कारणउनकी चूत से निकला हुआ चंदा लटक रहा था (मेरे कई दोस्तों ने उसके बारे मे बताया था की उनके घर की ओंरतो की चूत से भी ये निकलता है और उन्हे इस पर बड़ा नाज़ होता है).

में तो उत्तेजना की वज़ह से पागल हो रहा था. मैने लेटे-लेटे ही अपना शर्ट निकाल दिया और माँ की तरफ थोडा और सरक गया जिससे मेरा लंड माँ के कुल्ले से टच करने लगा, थोड़ी देर तक चुप रहने के बाद जब मैने देखा की माँ कोई हरकत नही कर रही है तो मेरी हिम्मत और बढ़ी। soyi maa ki jagti kamna

में लेटे लेटे ही माँ की चूत को सहलाने का पूरा मज़ा लेने लगा. थोड़ी ही देर मे मुझे लगा की माँ की चूत से कुछ चिकना चिकना पानी निकल रहा है. क्या खुशबु थी उसकी, मेरा लंड फूल कर फटने की इस्थिति मे हो गया. में अपना लंड माँ के कुल्ले, गांड के छेद, उनकी जांघो पर धीमे धीमे रगड़ने लगा.

तभी मुझे एक आईडिया आया की क्यों ना आज थोडा और बढ़ कर माँ की चूत से अपना लंड टच करूं, जब मैने अपनी कमर को आगे खिसका कर माँ की जांघो से सटाया तो लगा जैसे करंट फैल गया हो, मुझे झड़ने का जबरदस्त मन कर रहा था पर मैने सोचा की एक बार माँ की चूत मे लंड डाल कर उनकी चूत के पानी से चिकना कर लूँगा और फिर बाहर निकाल कर मुठ मार लूँगा।

ये सोच कर मैने अपनी कमर थोडा ऊपर उठाया और अपना लंड माँ की चूत से लटके चमड़े को उंगलियों से फैलाते हुए उनके छेद पर रखा तो माँ की चूत से निकलते हुए चिकना पानी मेरे सूपडे पर लिपट गया और थोडा कोशिश करने पर मेरा सूपड़ा माँ की चूत के छेड़ मे घुस गया।

जैसे ही सूपड़ा अंदर गया उफ़ माँ की चूत की गर्मी मुझे महसूस हुई और जब तक में अपना लंड बाहर निकालता मेरे लंड से वीर्य का फव्वारा माँ की चूत मे पिचकारी की तरह निकलने लगा में घबरा तो गया पर ज्यादा हिलने से डर रहा था की कहीं माँ जग ना जाए. soyi maa ki jagti kamna

जब तक मैं धीमे से अपना लंड माँ की चूत से निकालता तब तक मेरे लंड का पानी माँ की चूत मे पूरा खाली हो चूका था और लंड निकलते वक़्त वीर्य की धारा माँ के गांड के छेद पर बहने लगी. मुझे लगा अब तो में पक्का पीटूँगा और डर के मारे जल्दी से शर्ट पहन कर सो गया. मुझे नींद नही आ रही थी पर मैं कब सो गया पता ही नही चला।

अगले दिन उठा तो देखा की हमेशा की तरह माँ सफाई कर रही थी पर दीदी स्टेडियम नही गई थी. मुझे देखते ही माँ ने दीदी से कहा “वीना, जा चाय गर्म करके भाई को देदे… और मुझे प्यार से वहीं बैठने के लिए कहा.

मैने चोरी से माँ की तरफ देखा तो माँ मुझे देख कर पूछी आज नींद कैसी आई… मैने कहा की “अच्छी”, तो माँ हसने लगी और मेरी पैंट की ऊपर देखकर बोली की “अब तू रात मे सोते समय थोड़े ढीले कपड़े पहना कर… अब तू बड़ा हो रहा है.. देख में और वीनू भी ढीले कपड़े पहन कर सोते है… में यह सुन कर बड़ा खुश हुआ की माँ ने मुझे डाटा नही। soyi maa ki jagti kamna

उस दिन मुझे पूरा विश्वास हो गया था की अब माँ मुझे रात मे पूरे मज़े लेने से मना नही करेगी भले ही दिन मे चुदाई के बारे मे खुल कर कोई बात ना करे. अब तो में बस रात का ही इंतजार करता था, खैर उस रात फिर जब में सोने के लिए कमरे मे गया तो मुझे माँ की ढीले कपड़े पहनने वाली बात याद आई पर मेरे पास कोई बड़ी शर्ट नही थी. फिर मैने आलमरी मे से एक पुरानी लुंगी निकाली और अंडरवेयर उतार कर पहन लिया और सोने का नाटक करने लगा।

तभी मेरे मन मे माँ की सुबह वाली बात चेक करने का विचार आया और मैने अपनी लुंगी का सामने वाला हिस्सा थोडा खोल दिया जिस से मेरा लंड खड़ा होकर बाहर निकल गया और अपने हाथो को अपनी आँखो पर इस तरह रखा की मुझे माँ दिखाई दे. थोरी ही देर मे माँ कमरे मे आई और नाईटी पहन कर बेड पर आने और लाइट ऑफ करने के लिए मूडी और मेरे लंड को देखते ही रुक गई। soyi maa ki jagti kamna

थोड़ी देर वैसे ही मेरे लंड को जो की पूरे 9″ लंबा और 2.5″ मोटा था, देखती रही, फिर पता नही क्यों उसने लाईट बंद करके नाईट बल्ब जला दिया और बेड पर लेट गई वो मेरे लंड को बड़े प्यार से देख रही थी पर मेरे लंड को उसने छुआ नही. फिर दूसरी तरफ करवट बदल कर एक पैर को कल की तरह आगे फैला कर लेट गई. मुझे पक्का विस्वाश था की आज माँ जानबूझ कर नाईट बल्ब ऑन किया है ताकि में कुछ और हरकत करू।

आधे एक घंटे के बाद जब में माँ के ऊपर सरका तो लूँगी की गाँठ रगड से अपने आप ही खुल गई और में नंगे ही अपने खड़े लंड को लेकर माँ की तरफ सरक गया और नाईटी खोल कर कमर तक हटा दिया. उस रात मैने पहली बार माँ के कुल्हे, गांड और चूत को देख रहा था. मेरी खुशी का ठिखाना नही था, में झुक कर माँ की जांगो और कुल्हे के पास अपना चेहरा ले जाकर चूत को देखने की कोशिश करने लगा.

मुझे अपनी आँखो पर विश्वास नही हो रहा था की कोई चीज इतनी मुलायम, चिकनी और सुन्दर हो सकती है, माँ की चूत से बहुत अच्छी भीनी भीनी खुशबु आ रही थी. में एकदम मदहोश होता जा रहा था. पता नही कैसे में अपने आप ही माँ की चूत को नाक से सटा कर सूंघने लगा। चूत से निकले हुए चंदे के दोनो पत्ते किसी गुलाब की पंखुड़ी से लग रहे थे. माँ की चूत का छेद थोडा लाल था और गांड का छेद काफ़ी टाइट दिख रहा था, पर सब मिला कर उनकी पुरे कुल्हे और जांघे बहुत मुलायम थी। soyi maa ki jagti kamna

में उसी तरह कुछ देर सूंघने के बाद माँ के चूत के दोनो पत्तो को मुहँ मे भर लिया और चूसने लगा उनकी चूत से बेहद चिकना लेकिन नमकीन पानी निकलने लगा, में भी आज चुदाई के मज़े लेना चाहता था. फिर मैने माँ की चूत से निकलते हुए पानी को अपने सूपडे पर लपेटा और धीरे से माँ की चूत मे डालने की कोशिश करने लगा. पर पता नही कैसे आज मेरा लंड बड़ी आसानी से माँ की चूत के छेद मे घुस गया।

में वैसे ही थोड़ी देर रुका रहा फिर मैने लंड को अंदर डालना शुरू किया, दो तीन प्रयासो मे मेरा लंड माँ के चूत मे घुस गया ओह क्या मज़ा आ रहा था, माँ की चूत काफ़ी गर्म थी और मेरे लंड को चारो और से जकड़े हुए थी. थोड़ी देर उसी तरह रहने के बाद मैने लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया ओह जन्नत का मज़ा मिल रहा था।

5-१० मिनट अंदर बाहर करते ही मुझे लगा की मैं झड़ने वाला हूँ तो मैने अपनी स्पीड और तेज़ कर दी और अपना वीर्य माँ की चूत मे डाल दिया…

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