दुकान में आई भाभी कस्टमर

मेरा नाम नीरज है. मेरी उम्र ३६ साल है. मेरी शादी हो चुकी है और २ बच्चे भी है. मेरी एक कपड़ों की दुकान है जिसमे सिर्फ औरतो के कपडे बेचे जाते है. हम सारे तरीकेके औरतो के कपडे बेचते है. वैसे छोटी दुकान होने की वजसे में अकेलाही दुकान संभालता हु. दुकान में औरतो के कपडे चारो तरफ लगाके रखे रहते थे ताके कस्टमर को आसानी हो. दुकान का दरवाजा काच का बना हुआ है तो मेने दरवाजे के अंदर की तरफ भी कपडे लगाके रखे है ताके बहार से आने जाने वाली औरतो को कपडे दिखे और वो खरीदने के लिए अंदर आये.

एक दिन की बात है. दुपहर करीब ३ बजेके आस पास एक सुन्दर सी दिखने वाली भाभी मेरी दुकान में आई. में दरवाजे से लगकर अपना टेबल था वही बैठा था. वो आयी और यहाँ वाह देखते हुए बोली। आपके पास ब्रा और पैंटी भी है.

मेने तुरंत हा कहा और पीछे रखे हुए डिब्बे से ब्रा और पैंटी निकाल कर भाभी को दिखाने लगा. भाभी ब्रा पैंटी देख रही थी तब मेरी नजर भाभी के शरीर के ऊपर से गुजर ने लगी. भाभी ने पिले रंग की सुन्दर सी साडी पहने थी. उनके गोर रंग पे पिली साडी कमाल की लग रही थी. काले रंग का ब्लाउज़ और उसमे जकड़े हुए बड़े बड़े मम्मो को आकर देख जी मचलने लगा.

जैसे जैसे नजर निचे की और खिसकने लगी, मेरी शरीर की गर्मी बढ़ने लगी. साडी के बाहर निकली गोरी कमरिया देख तो मुँह में पानी आने लगा. भाभी ब्रा और पैंटी की हात में लेकर बारीकीसे जांच रही थी.

उनमेसे कुछ ब्रा पैंटी उन्होंने निकल कर पास में रख दी और बोली की इनका दाम क्या है. मेने हस्ते हुए कहा की दाम की चिंता मत कीजिये आपके लिए सही सही दाम लगा दूंगा।

लेकिन आप चाहे तो एकबार पहन कर देख लीजिये आपको ठीक तरकिसे बैठ रहे है के नहीं. क्यूंकि मुझे लग रहा है के ये ब्रा और पैंटी छोटे है और आपको शायद ठीक से बैठेंगे नहीं। वहां सामने कपडे बदलने के लिए कमरा है. वहा आप पहनकर देख सकते हो. मेने कहते हुए हातोंसे इशारा किआ सामने की और.

भाभी ने पीछे देखा और बोली…. हा में एकबार पहनकर देख लेती हु. ऐसे कहकर उन्होने जो ब्रा और पैंटी निकाल कर पास राखी थी वो उठाई और सामने के कमरे में जाने लगी.

जैसे बभी मुड़कर चलने लगी. भाभी की बड़ी हिलती हुई गांड देख तो मेरा लंड खड़ा हो गया. इठलाते हुए भाभी उस कमरे के और जा रही थी.

कुछ ही देर में वो अंदर चली गयी अंदर से दरवाजा बंद किया.

असली मजा तो अब आने वाला था.

दुकान में जो कपडे बदलनेका कमरा बनाया था, कमरा काफी छोटा था. सफ़ेद रंग की लाइट से उजला हुआ कमरा कपडे बदलने के लिए काफी था.

सिर्फ दो आदमी खड़े रह सकते है इतनी ही जगा थी. सफ़ेद रंग की दीवाल से घिरा हुआ और दरवाजे के पीछे की ओर बडासा आइना लगाया था. इस आयने की खास बात ये थी के अंदर से तो वो आयना दीखता था लेकिन बाहर से अंदर का पूरा नजारा साफ दिखाई देता था.

बाहर से देखने पर तो दरवाजा लकड़ी का महसूस होता था. लेकिन एक बटन दबानेसे वो लकड़ी का दरवाजा हट जाता था और अंदर का सबकुछ दिखाई देखने लगता था.

जैसे भाभी अंदर गयी।  में बहार से भाभी को ब्रा पहनते हुए देखने लगा.

पहले भाभी ने आस पास देखकर जांच लिया के कोई कैमरा तो नहीं लगा. फिर अपना साडी का पल्लू निचे गिरा दिया. भाभी के बड़े बड़े मम्मो के आकर देख में चौक गया. ब्लाउज़ के ऊपर से बहोत ही बड़े लग रहे थे. उसमे वो  बिच की दरार काफी आकर्षित लग रही थी.

भाभी ने धीरेसे अपना ब्लाउज़ खोला और निकाल कर पास में रख दिया। अब भाभी का ब्लाउज़ दिखने लगा. हलके गुलाबी रंग के ब्लाउज़ में मम्मे दबे हुए थे. भाभी ने जैसे ही अपना ब्लाउज़ उतारा मेरे तो होश ही उड़ गए. बड़े गोरे मम्मो को देखकर हलक में मानो सास अटक गयी थी. आह्हः आहहह..

भाभी के बड़े बड़े दोनों मम्मो को देख मुँह में पानी आने लगा. उसपर भूरे रंग की चूचियों को देख ऐसे लगा के खा जाऊ दोनों मुँह में लेकर। भाभी ने मम्मो को बहोत ही संभाल के रखा था. काफी बड़े और मुलायम दिख रहे थे. मुँह में पानी आने लगा.

भाभी ने फिर नया वाला ब्रा लिया और वो पहनकर देखने लगी. जैसे मेने सोचा था वैसे ही हुआ. ब्रा काफी छोटा था. भाभी के मम्मे दब रहे थे. ब्रा इतना छोटा था की ब्रा के ऊपर से मम्मे बाहर निकल रहे थे. भाभी आयने में देखकर समाज गयी के ये ब्रा नहीं होगा उसे.

उसने तुरंत ब्रा को निकाला और पास में रख दिया. फिर जो चड्डी लेकर गयी थी वो पहने की बारी थी. अब पहनी हुई चड्डी को निकलने के लिए भाभी ने दोनों हातोंसे साड़ी उठाई और अंदर से चड्डी को निचे उतर दिया। फिर नयी वाली चड्डी को पैरो में डालकर ऊपर खींचने लगी. तभी साड़ी जैसे ऊपर हुयी भाभी की गोरी मास से भरी जांग दिखाई दी. जांग से घिसते हुए चड्डी ऊपर खिचलि और पहनकर आयने में देखने लगी.

फिर अपने पेअर थोड़े फैलाए चड्डी को बराबर से बैठाने की कोशिश कर रही थी. बिच बिच में साडी के निचेसे हात अंदर डालकर चड्डी को बैठा रही थी. देखकर पता चल रहा था की चड्डी भी छोटी है. फिर भाभी घूमकर खड़ी हुई और अपना पिछवाड़ा आयने को दिखाकर अपनी साडी उठाकर देखने लगी.

आह्हः… भाभी की बड़ी गांड देख मेरा दिल जोर जोरसे ढकने लगा. उसी चड्डी छोटी होने की वजसे आधी गांड की दरार में फस गयी थी. आधी से ज्यादा गोरी लचीली गांड बाहर निकली थी. आहहह… में उसे देखते हुए अपने लंड को जोर जोर से मसलने लगा.

फिर भाभी ने साड़ी निचे की और वो चड्डी उतार  दी. अपनी ब्रा और पैंटी फिर से पहन ली. और साडी को ठीक करके बाहर आयी. वो बाहर आने के पहले मेने बटन दबाकर बाहर का दरवाजा ठीक कर दिया था.

भाभी बाहर आयी और कहने लगी ये बहोत ही छोटी हो रही है. तो मेने जानभूझकर पूछा दोनों भी छोटे हो रहे है भाभी?

तो बोली है दोनों भी छोटे हो रहे है. इससे बड़ी आकर की देना.

तब मेने भाभी को कहा. की भाभी अभी तो इससे बड़ी आकर की ब्रा पैंटी नहीं है. लेकिन में आपके लिए मंगवा लेता हु. दो दिन में आ जाएगी.

भाभी मान गयी और दो दिन बाद आती हु कहकर चली गयी.

जैसे ही भाभी चली गयी मेने पहले तो दुकान का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया. भाभी ने पहनी हुई चड्डी और ब्रा उठाये और अंदर के सामान रखने वाले कमरे में जल्दी से आया. अंदर आतेहि भाभी ने पहनी हुई चड्डी को मुँह से लगाकर सूंघने लगा. आहहहह.. भाभी की चुत की खुशबू अभी भी उस चड्डी पर थी. मेने चड्डी को मुँह में दबाकर ब्रा को सूंघने लगा. सूंघते हुए मेने अपनी पैंट उतार दी और लंड को पकड़कर हिलाने लगा. आखो के सामने भाभी के बड़े बड़े मम्मे नजर आ रहे थे.

ब्रा को मुँह पे रख भाभी की चड्डी को लंड पर लपेट लिया। मुठी में लंड को पकड़कर जोर जोर से हिलाने लगा. आहहहहह. भाभी को याद करते हुए लंड हिला रहा था. ाहाहाःहाहा. दोनों पैर फैलाके मुठी को और कसकर पकड़कर लंड हिला रहा था. अहहहह ओह्ह्ह। .. अहहह.

कुछ ही देर में मेरे लंड ने पानी की पिचकारी छोड़ दी.. और भाभी की चड्डी गीली हो गयी और कुछ पानी जमीन पर गिर गया. अहहहह।

फिर में वापस बाहर आया और दुकान सँभालने लगा. दो दिन बाद भाभी फिर से आने वाली थी तो मेने उनके लिए ब्रा और पैंटी का आर्डर दे दिया।

दो दिनों तक में सोचता रहा की कैसे भाभी को चोदू।  जबसे भाभी के मम्मो को देखा है आखो के सामने वही नजर आ रहा है.

सोचते सोचते दो दिन बीत गए. दुपहर को भाभी आएगी ये मुझे पता था. इसलिए में पूरी तैयारी के सात बैठा था. करीब २ बजे के आसपास कोई मुझे बाहर से एते हुए दिखा ।

जैसे ही दरवाजा खुला तो देखा की वो तो भाभी ही है. मेने हसकर भाभी को अंदर आने कहा. भाभी को मेने कहा की…. आपका ही इंतजार कर रहा था.

भाभी बोली… आपक कितना ख्याल रखते हो कस्टमर का.

मेने बाते करते करते डिब्बे से नए लाये हुए ब्रा और पैंटी निकाल कर सामने रख दिए.

भाभी एक एक करके ब्रा और पैंटी थिकसे देखने लगी. उनके चेहरे पे हलकी सी मुस्कान थी. उनमेसे एक पैंटी अपने हात में पकड़कर मुस्कुराते हुए बोली, आप तो मेरे लिए काफी बढ़िया पैंटी लाये हो.

तो मेने भी मुस्कुराते हुए कहा. जी आपके ऊपर जो जचेगी ऐसी ब्रा और पैंटी लाया हु. मेरी बात सुनते हुए भाभी ने एक पैंटी अपने हात में ली और मुझे दिखते हुए बोली, ये मुझपर अछि लगेगी न.

मेरी नजर पैंटी पर पड़ी तो पता चला, की उस पैंटी पर झालर का डिज़ाइन था. काफी छोटी थी और अंदर का सबकुछ दिखेका ऐसा उसका डिज़ाइन था. मेरी तरफ देखते हुए भाभी मुस्कुराई।

मेने भी मुस्कुराते हुए कहा, जी आजकल एहि सब औरते पहन रही है. इसमें गर्मी भी नहीं होगी. मेरी बात सुनकर भाभी खिलखिलाते हुए हसने लगी.

हसते हसते भाभी का पल्लू निचे गिरा और उसकी मम्मो की बिच की दरार मेरे आखो के सामने थी. इतने पास से देखते हुए मेरी नजर ही नहीं हट रही थी. भाभी को भी पता था की पल्लू निचे गिरा है. लेकिन उसका ध्यान ब्रा और पैंटी देखने में था. मेने भी मौका नहीं छोड़ा और जितने करीब से अंदर झाक सकू उतने करीब आकर में भाभी को ब्रा और पैंटी दिखाने लगा.

तभी भाभी ने एक ब्रा उठाई और अपने सीने पर रख पूछने लगी, ये देखो ये कैसे लग रही है. मेने कहा अछि लग रही है भाभी.

फिर भी एक बार आप पहनकर देख लेना.

तो उसपर भाभी ने कहा, हां में पहनकर तो देख लेती हु. लेकिन आपका जो कपडे बदलनेका कमरा है वो बहोत ही छोटा है. मुझे अंदर कपडे बदलने में परेशानी होती है.

तो मेने भाभी को कहा, तो आप काम कीजिये सामने कोने में सामान रखने का कमरा है. वो बड़ा है. वहा पे आप कपडे बदलकर देख लीजिये.. लेकिन उस कमरे का दरवाजा नहीं है.

तो भाभी ने कहा, लेकिन कोई आ गया तो दुकान में. तो मेने कहा, में आपके लिए दुकान अंदर से बंद कर लेता हु. फिर कोई नहीं आएगा.

मेने तुरंत जाकर अंदर से दरवाजा बंद किया. फिर भाभी पीछे मुड़ी और अंदर के कमरे में चली गयी.

मेरा बहोत मन कर रहा था की अंदर क्या हो रहा है जाकर देखु, लेकिन बहोत डर भी लग रहा था.

तभी अंदर से भाभी ने आवाज लगायी. में तुरंत अंदर चला गया. भाभी ने कहा, मेरी जरा मदत कर देना ना. इन कपड़ो को रखने के लिए जगा नहीं है. निचे रखूंगी तो ख़राब हो जायेंगे.

नयी ब्रा और पैंटी मेरे हात में देकर भाभी अपना ब्लाउज़ का बटन खोलने लगी. बटन खोलते हुए वो मेरी तरफ पीठ करके कड़ी हुयी और बोली पिछेसे जरा हुक खोल देना. मेने हुक खोला. भाभी ने अपना पल्लू निचे गिरा दिया. मेरी तरफ अभी भी पीठ दिखाकर खड़ी थी. ब्लूज़ निकल कर मुझे थमा दिया. फिर अपना पहना हुआ ब्रा भी खोल दिया और मुझे थमा दिया.

मेरे आखो के सामने भाभी की नंगी पीठ थी. इतने करीब से भाभी की गोरी पीठ को देख मुँह में पानी आ गया. मेरा लंड उछाल मारने लगा.

भाभी ने फिर मुजसे ब्रा माँगा. मेने उनके हात में ब्रा थमा दिया. भाभी ने नया ब्रा पहन लिया और मेरी तरफ मुड़ी. भाभी के बड़े बड़े मम्मो को देख में पागल ही हो गया. मुस्कुराते हुए भाभी ने पूछा कैसे लग रहा है ये ब्रा. मेरी जबान लड़खड़ाते हुए बोलू, बहोत ही खूबसूरत लग रहे हो आप इस ब्रा में. ब्रा के ऊपर भी झालर का डिज़ाइन था जिस वजसे ब्रा के ऊपर से ही मम्मे दिख रहे थे. और मम्मो की बिच की दरार अब पूरी खुलकर दिख रही थी. मेरी नजर ही नहीं हट रही थी.

भाभी को मेरी शकल से पता चल गया था की मेरी अंदर से हालत क्या हो रह है. मेरी नजरे कभी भाभी की आखो में देख रही थी, तो कभी मम्मो को टटोल रही थी.

मुझे देखते हुए भाभी ने कहा, अच्छे लग रहे है ना.  मेने कहा है भाभी बहोत ही बड़े और सुन्दर दिख रहे है.

उसपर भाभी ने कहा, हात लगाकर नहीं देखोगे. ये बात भाभी के मुँह से सुनकर में मानो सपने की दुन्यासे जग गया. मेने भाभी की तरफ देखकर कहा, में इन्हे हात लगाकर देख सकता हु.

तो भाभी मुस्कुराते हुए कहा. देखलो अब इतने करीब आ ही गए हो तो.

मेरे सब्र का फल मानो मुझे मिल गया. मेने तुरंत हात में पकडे हुए ब्रा और पैंटी पास के डिब्बे पर रखे और दोनों हातोंसे भाभी के मम्मो को दबाने लगा. आहहह.. भाभी मदहोश होकर मुँह से आवाजे निकलने लगी. आहहह… भाभी को तड़पते हुए देख मेने और जोर से मम्मो को दबाना शुरू किया. मम्मो के ऊपर से ब्रा के अंदर हात डालकर दबाने लगा. भाभी ने जैसे मेरी बैचेनी देखि, उन्होंने अपना पहना हुआ ब्रा खोल दिया और निकल के पास में रख दिया.

भाभी के तरबूज जैसे मम्मे जैसे मेरे आंखोके सामने आये, मेने सबकुछ भूलकर सीधा मम्मो को चूमना सुरु किया. चूचियों को ऊँगली से मसलने लगा. चूचियों को मुँह में पकड़कर चूसने लगा. जोर जोर से मम्मो को दबाकर आनद ले रहा था. कभी मुँह मम्मो के बिच में घिसकर चुम रहा था. तो कभी चूचियों को दातो से पकड़कर खींच रहा था. भाभी तड़पते हुए आवाजे करने लगी. अहहह।  श्श्श्श अहहहह. अहःअहः.

ममो से ऊपर उठकर जैसे मेने भाभी के होठोंको अपने होठ लगाए, दोनों मानो एक दूसरे को प्यार ही करने लगे. कसकर गले लगाकर होठोंको चूमने लगे. मेरे दोनों हात भाभी की नंगी पीठ पर  घूमने लगे. दोनों का शरीर तप रहा था. जबान से जबान लड़ाकर चुम्बन लेने लगे.

भाभी ने मेरी कमीज उतरना सुरु किया. एक दूसरे को चूमते हुए भाभी ने मेरी कमीज़ उतर दी और मेरे मुझे कसकर पकड़लिया. भाभी के मम्मे मेरी छाती पर रगड़ने लगे. अहहहहहहह.. भाभी का कोमल शरीर मुझसे संभाला नहीं जा रहा था.

हड़बड़ाट में पीछे हटा और भाभी की साड़ी पकड़कर खींचने लगा. भाभी गोल घूमने लगी और साड़ी निकलने लगी. जैसे पूरी साड़ी निकली भाभी की चड्डी दिखने लगी. भाभी ने सिर्फ अंदर काले रंग की चड्डी पहनी थी. ऐसे पैंटी पर एक गोरी औरत को देखना एक सपने से कम नहीं था. मेने तुरंत अपनी पैंट उतरी.

भाभी की नजर मेरे अंडरवेर पर पड़ी. अंदर मेरा काला नाग उछलते हुए दिखा. भाभी ने जरा भी देर न की और मेरे सामने निचे बैठ गयी. मेरी अंडरवेर निचे खींच मेरे लंड को बाहर निकला. जैसे मेरा लंड भाभी के सामने आया उसने मुठी में लंड को पकड़कर हिलना सुरु किया. जोर जोर से हिलने लगी. यहाँ में कहराने लगा. आअह्ह्ह्हह। .. उससस उफ्फ्फ अहहहह… भाभी के कोमल हातो में जकड़ा हुआ लंड करंट मरने लगा. शरीर की गर्मी बढ़ने लगी.

में आनंद ले ही रहा था के भाभी ने लंड को सीधा अपने मुँह में ले लिया. फिर क्या में पागल ही हो गया. भाभी के मुँह में लंड जाते ही मेरा शरीर कापने लगा. भाभी ने पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया था. और मेरे गोटे को हातोंसे मसलरहि थी. जोर जोर से गोटोंको दबा दबाकर लंड चूस रही थी आहहह अहहहहह. उफ़. आहहह ससशश। .. बहोत मजा आ रहा था.

कुछ देर लंड चूसने के बाद जैसे उसने लंड मुँह से निकला. मेने सीधा उसे वही जमीन पर लिटा दिया. भाभी के गोर बदन पर सो कर उसको चूमने लगा. शुरवात होटोंसे से की और फिर चुनते हुए मम्मो से होकर उसकी धोड़ी पर आ पोहचा. छोड़ी को जीभ से चाटने लगा. भाभी तड़पने लगी. सिसकने की आवाज गुजने लगी. धीरे धीरे में निचे खिसका.

भाभी की काले रंग की पैंटी को पकड़कर निचे खींचा. पैंटी निकलते ही जैसे भाभी की चुत सामने आयी. मेरे मुँह से पानी टपकने लगा. मेने तुरंत भाभी के पैर फैलाये और चुत को चाटने लगा. अम्मम्म अम्मम्म। .आहहह. चुत काफी गरम थी. चुत से चिप चिपा पानी रस रहा था. मेने जबान चुत के अंदर डालकर चाटना शुरू किया. भाभी मदहोश होकर हलचल करने लगी. में भाभी की चुत को ऊपर से निचे तक पूरा चाटने लगा. एक भी कोना छोड़ा नहीं।

काफी देर बाद में पीछे हटा और फिर लंड को आगे ले आकर भाभी के पैरो के बिच बैठा और लंड चुत में घुसेड़ा. धीरे धीरे लंड चुत में जाने लगा. आआह्ह्ह. चुत की गर्माहट ने लंड को ओर ज्यादा कठोर बना दिया. लंड पूरा चुत में डालकर जब मेने भाभी से नजरे मिलायी. तो उसके चेहरे पे एक सुन्दर सी मुस्कान थी. मेने उसके आखो में देखते हुए एक धक्का दिया. भाभी सिसकते हुए बोली, अब और मत तडपायो मुझे। चोदो मुझे जल्दी से.

यह सुनकर मेरा जोश दुगना हो गया. मेने भाभी की जांग हातोंसे से पकड़ी और चोदने लगा. अहहहह अहःअहः आहहह। ..दोनो भी चुदने के पूरा आनंद लेने लगे. मे जोर जोर से लंड को चुत में धकेलने लगा. आह्हः अहहह… उफ्फ्फ्फ़. ाहाहाःहाहा. काफी देर तक भाभी को चोदा

फिर मेने लंड को चुत से बाहर खींचा. भाभी को घोड़ी बना दिया. भाभी जैसे मुड़ी भाभी की बड़ी गांड सामने आये. पहले तो प्यार से गांड को मेने दोनो हातोंसे दबाया. गांड काफी मुलायम थी. फिर नजदीक से गांड को देखने लगा. हातोंसे भाभी की गांड को सहलाने लगा. मेरा भाभी की गोरी बड़ी गांड देखकर उछलने लगा.

मुजसे फिर रहा नहीं गया. मेने लंड आगे लिया और पिछेसे भाभी की चुत में लंड डालकर चोदने लगा. अहहह अह्ह्हह्ह्ह्ह. पीछे से चोदने में और भी मजा आ रहा था. हिलती हुई भाभी की गांड देखकर लंड को चुत में ड़ालते हुए गांड पे चपेट मरने लगा. भाभी भी चिल्लाने लगी. अहहह ा. श्श्श्श आआह्ह्ह आआह्ह्ह

पुरे जोश में भाभी को चोद रहा था. दोनो हातोंसे से कमर को पकड़कर चोदने लगा. ऐसा लग रहा था की मानो स्वर्ग में हु. काफी देर चोदने के बाद जब लंड पानी गिराने के लिए तैयार था. मेने भाभी को पूछा अंदर छोड दू पानी?

तो भाभी ने कहा नहीं मेरे मुँह में देदो.

मेने तुरंत लंड को चुत से बाहर खींचा और भाभी के मुँह में दे दिया. भाभी के मुँह में लंड जाते ही पानी की पिचकारी भाभी के मुँह में गिरने लगी.

भाभी ने पूरा पानी पि लिया. फिर जब लंड मुँह से निकला. मेरा मन शांत हो चूका था.

हम दोनों ने कपडे पहने और भाभी अपने घर चली गयी.

उस दिन के बाद से भाभी हर हफ्ते दुकान पे आया करती थी. हम दोनों के बिच प्यार बढ़ रहा था. जब भी मन करता हम चुदाई करते. भाभी अब खुल गयी थी. मुझे कोई रोक टोक नहीं थी. जैसे चाहो वैसे चोदने देते थी.

कैसी लगी कहानी कमेंट करके जरूर बताना

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