जीवन में कई बार ऐसी कठिनायोसे गुजरना पड़ता है जहा आपको समज नहीं आता की आप किस रस्ते पे चलना चाहिए और जीवन में आगे क्या करना चाहिए.
मेरा भी जीवन ऐसे ही मोड़ पे आ चूका था. करीब ६ महीने हुए है मुझे अपने पति से अलग होकर. हमारा तलाक हो चूका है. अभी भी कोर्ट से फैसला आना बाकि है.
मेरा एक बेट है. जिसकी उम्र अभी करीब २० साल है. उसका नाम मनोज है. उसे हमने पढ़ने के लिए हॉस्टल में भेजा था. करीब ३ साल वहा रहने के बाद अभी वो वापस आ गया है और मेरे साथ ही रहता है.
अभी आगे का परिवार हम दोनों को ही संभालना है. क्यूंकि अब उसके पिताजीने तो दूसरी शादी करने का फैसला किया है. वो अपने जीवन में कुश है. अब हम अपने जीवन में भी ख़ुशी और वही सुख को लाना पड़ेगा.
कुछ ही दिन हुए थे मनोज को वापस आकर. अभी भी हमारे बिच थोड़ा सा अंतर दिखाई देता था. क्यूंकि बहार रहने की वजसे मनोज के विचार भी बदल गए थे. हमारी सिर्फ काम की बाते होती थी.
सभी ठीक चल रहा था. तभी दो दिन बाद मुझे अपने चाचा का फोन आया. उन्होंने मुझे याद दिलाया की हमारी एक जमीन खरदी थी जो के मेरे नाम पर थी ऐसे ही पड़ी हुई है. चाचा ने कहा की बार बार उस शहर में जाना तो होगा नहीं. इससे अच्छा है, उस जमीन को बेच दो. और जो पैसे आएंगे उसे फिक्स डिपॉजिट में रख दो.
मुझे भी वो ख्याल अच्छा लगा. मेने तुरंत जाने का फैसला किया. ट्रेन की टिकट ले आयी. कुछ दिन बाद में और मनोज दोनों ट्रेन से जा रहे थे. ट्रेन में काफी भीड़ थी. ६ घंटे का सफर था. भीड़ के कारन बहोत से ऐसे मौके भी आये जब मुझे मनोज के करीब रहना पड़ा. कभी वो मुझे पिछेसे पकड़ रहा था. तो कभी में खुद उसके पास जाकर चिपक कर खडी हो जाती थी. ट्रैन से उतरते समय तो मनोज मुझे पिछेसे कसकर पकड़कर खडा था.
वैसे तो वो मेरा बेटा था, लेकिन एक मर्द के शरीर का होनेवाला स्पर्श मुझे अच्छा लगने लगा. मनोज मुझे उस भीड़ में काफी संभालकर बहार ले आया.
हम किसी तरह शहर में पहोच गए. पैसे की कमी थी इसलिए एक छोटासा कमरा होटल में ले लिया था. जैसे हम कमरे में पहोचे पहले तो हम दोनों ने नाहा लिया.
में नहाकर अपने बाल खिड़की से बहार देखकर बना रही थी तभी अचानक मेरी नजर पीछे खड़े मनोज पर पड़ी. वो अभी अभी नहाकर निकला था. उसने सिर्फ छोटी पैंट पहनी थी. अपने छाती पर टॉवल रगड़कर बदन पोछ रहा था. उसकी आँखोमे मुझे अजीब सी गहराई दिखी. वो अपनी नजर छुपाके मेरे बदन को देख रहा था.
हमने थोड़ी देर बाद नास्ता किया और निकल पड़े एक आदमी से मिलने जो हमारी जमीन खरीदने में इक्षुक था. जब गाड़ी में बैठे थे, तभी मनोज अपना सर मेरे सिर पर रखकर सो गया. मेने भी उसका हात पकड़कर अपने नजदीक ले लिया. पुरे रास्ते मनोज से करीब रहकर जो आनंद मन को मिल रहा था. ऐसा अनंदा कभी पहले नहीं मिला.
बड़ी मुश्किल से खरीदार जगा खरीदने के लिए राजी हुआ. खरीद दार ने आधी रक्कम चेक से दे दी. बाकि कागजाद बनाने के बाद दे देगा ऐसे उसने कहा.
फिर में और मनोज वापस हमारे होटल की और निकल पड़े. काफी थके हुए थे तो खाना खाकर सो गए. मुझे इतनी गहरी नींद लगी के सीधा शामको ६ बजे नींद खुली.
लेकिन जब में उठी. जो मेने महसूस किया वो देख में चौक गई. मनोज ने मुझे कसकर पिछेसे पकड़ रखा था. और पिछेसे पॅन्ट के अंदर मनोज का तनाहुआ लंड मेरी गांड पे कसकर दबाके रखा था. मनोज अभी भी गहरी नींद में था. में जैसे धीरेसे दूर हुई, पहले तो मेने उसके लंड की तरफ देखा. छोटी पैंट के अंदर लंड का आकर काफी बड़ा दिख रहा था. देखकर ऐसे लग रहा था जैसे मनोज ने अंदर कुछ पहना नहीं है.
मेने सोचा मनोज गहरी नींद में है. तो मेने धीरेसे पैंट के ऊपर से मनोज के लंड को हात लगाकर देखा तो पता चला सच में मनोज ने अंदर कुछ नहीं पहना है. मुझे लंड खुला खुला महसूस होने लगा.
लेकिन जैसे मेने लंड को पकडनेकी कोशिश की, मनोज करवटे बदलने लगा. में डर गई और सीधा उठकर बेड से निचे उतर गई.
उस शाम मेरा शरीर मनोज की तरफ आकर्षित हो रहा था. हम खाना खाने के लिए जब निचे आये. दोनों भी ज्यादा बात नहीं कर रहे थे. दोनों की नजर एक दूसरे के शरीर पर थी. में अपने ही बेटे के लंड की तरफ आकर्षित होने लगी. बार बार मेरी नजर उसके उभरे हुए पैंट की तरफ जा रही थी.
आस पास बैठे लोगो के सामने तो हम माँ बेटे का नाटक कर रहे थे. लेकिन अंदर ही अंदर दोनों के दिल जोर जोर से धड़क रहे थे. आज रात को क्या होगा इसी बात का ख्याल दोनों के मन में चल रहा था.
मुझे तो ज्यादा भूक नहीं थी. तो जल्दी खाना खाकर हम दोनों कमरेमे आगये. तुरंत सोने के तैयारी की और जैसे ही मनोज ने लाइट बंद की. मेरे शरीर की गर्माहट बढ़ने लगी. मनोज लाइट बंद कर मेरे पास आकर सोया. कमरे में काफी अँधेरा था. खिड़की से थोड़ी रौशनी आ रही थी.
कुछ देर की शांति के बाद अचानक से मनोज ने मेरी कमर पर हात रखा. मेरी धड़कने बढ़ने लगी. वो मेरे कमर पे हात घुमाने लगा. धीरे धीरे उसका हात मेरे पीठ पर आ गया. मेरे पतले कपड़ो के ड्रेस पर हात जैसे रखा, में तो डर के मारे पानी पानी हो गयी.
मेरे शरीर की गर्मी बढ़ने लगी. मुँह से सिसकनेकी आवाज निकलने लगी. अहह यह. स्श्श हहश हश्श. ाहः हहह … मेरी आवाज सुन मनोज और उत्तेजित हो गया. उसने सीधा मुझे पिछेसे जकड लिया और अपना लंड मेरी गांड पे घिसते हुए एक हात आगे की और लेकर मेरे स्तन को जोर जोर से दबाने लगा.
अहह हहहह हहहहहह.. किसी मर्द का हात स्तन पर महसूस करना कितना आनंदमय अनुभव होता है. मेरी आत्मा अपने ही बेटे के शरीर के सहवास से गदगद हो गई.
मनोज ने जैसे देखा में भी आनंद लेने लगी हु. उसने मुझे अपनी तरफ खिच लिया और बिना कुछ सोचे मेरे होठोंपे अपने होठ रख दिए और चूमने लगा. अहह अहह अहःअहः अह्ह्ह्ह….. मनोज मेरे ऊपर आकर सो गया और होठोंको चूमने लगा. अहहह अहहहहह.. एक हात से मेरे मम्मो को जोर जोर से दबाकर आनंद ले रहा था.
मेने भी मनोज को कसकर जकड लिया. काफी देर बाद होठोंसे अपना मुँह खिसकाकर मनोज मेरी गर्दन चूमने लगा. चूमने चूमते स्तन की और जाने लगा. दोनों हतोसे मेरे स्तन दबाकर आनंद लेने लगा. उसके हात मानो मेरे स्तन पर चीपक गए थे. दोनों हातोसे मेरे दूध से भरे स्तन को दबा रहा था.
फिर दबाते हुए वो निचे किसका और उसने मेरी मैक्सी ऊपर कर दी. मेरे मम्मो को देख वो मानो पागल सा हो गया. ब्रा के ऊपर से मम्मो को जोर जोर से दबाने लगा. मेने उसके आखो में बढ़ी हुई हवस देखि. मेने अपने ब्रा को उतारा और मम्मो को खुला छोड दिया. जैसे ही मेरे चुचे उसने देखे, वो सीधा उन्हें मुँह में लेकर चूसने लगा. अहहहहः हहहहह… मनोज दोनों हातोंसे मम्मो को दबा रहा था. जोर जोर से दबाकर आनंद ले रहा था. क्या करे और क्या नहीं ऐसी हालत में वो मम्मो को दबाते हुए पागल सा हो गया था. अहहहाहा हहहहाःहाहा.. मनोज ने दोनों चूचिया दबा दबाकर चूस ली.
फिर निचे की और फिसला और मेरे नाभि पर जीभ घुमाने लगा. अहहह अहहह आह्हः..अहहहह.. इस वक्त मेरे शरीर में मानो बिजली दौड़ने लगी थी. मेरी नाभि को चाटकर जैसे वो निचे खिसका, उसने मेरी गोरी गोरी जांघ देख ली.
जंग पे हात घूमते हुए उसे चूमने लगा, मनोज अब मेरी चुत से कुछ ही दूर था. मेरी टांगे अपने आप खुलने लगी. मानो मेरी चुत खुदबखुद मनोज को अंदर आनेका न्योता दे रही हो. मनोज जांघो को चूमते हुए मेरी निक्कर को निचे खींचने लगा. जैसे जैसे निकर निचे जाने लगी, मेरी चुत नाचने लगी. देखते ही देखते मनोज ने मेरी निक्कर निकाल दी.
अहह अहहहहह… मनोज ने चुत को देखतेही जो अपना मुँह मेरी चुत पे रगड़ना सुरु किया. ऐसे लग रहा था काफी दिनों से मेरी चुत को चाटने की इच्छा मन में ले घूम रहा था. मेरी चुत पे पानी जीभ घूमाते हुए ऊँगली को अंदर डाल दिया. ऊँगली अंदर बहार कर जोर जोर से चाटने लगा.
अहहह अहहहहह हहहहह..आ.अहहह अहहहहह.. इसी अनुभव के लिए तो में मरी जा रही थी. आदमी से चुत को चटवानेका जो मजा है वो किसी में भी नहीं. मनोज की जीभ चुत में अंदर बहार होकर घिस रही थी. अहह यह अहह हहहह….
काफी देर तक चुत को चाटने के बाद मनोज पीछे हटा उसने मुझे हात पकड़कर उठाया मेरी मैक्सी उतर दी. और मुझे पूरा नंगा कर दिया. फिर वो मेरे सामने बेड पर खड़े होकर अपने कपडे निकालने लगा. में बैठे बैठे अपने ही बेटे को नंगा होते हुए देख रही थी. मनोज ने अपनी टीशर्ट निकाली और फिर पैंट और अंडरवेर उतार दिर.
जैसे ही मनोज का लंबासा लंड मेरे सामने आया, मेरे मुँह से पानी आने लगा. मनोज का लंड काफी तनाहुआ था. मनोज मेरे मुँह के सामने घुटनो के बल बैठा और उसने सीधा अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया. अहहह अहहह… मुँह में लंड आते ही में मानो पागल हो गयी.
मेने मनोज के लंड को मुट्टी में कसकर पकड़ा और हिलाते हुए चूसने लगी. अहह अहहह. अम्म्ममममम अमममम आमम अहहहह अहह….अहहह ,ममम.. बहोत दिन बाद आज लंड चूसने को मिला था. बहोत ही आनंद मिल रहा था. मेने मनोज के लंड को पूरा अंदर ले लिया और अंदर बाहर करने लगी. पुरे लंड पे जीभ घुमाकर चूस रही थी. अहहह अह्ह्ह उम्म्म अमममम आममामा मममम उमूमम …. लंड को चूसते हुए मनोज के गोटे दबा रही थी….
काफी देर लंड को चूसने के बाद, फिर मनोज ने मुझे पीछे सुला दिया. और मेरे पैर फैलाकर मेरी चुत में अपना लंड घुसेड़ दिया. लंड जैसे अंदर जाने लगा, मुझे लंड की गर्माहट चुत में मह्सुश हो रही थी. ऐसे लगरहा था मानो बडीसी लकड़ी चुत में जा रही है. चुत के अंदर लंड घुसेड़ कर मनोज मेरे ऊपर सो गया और जोर जोर से चोदने लगा. अहह अहहह अहहहह हहहहहह…….
अहह मम.. बेटा.. धीरेसे अहहह अहहह हाहाहा…. मनोज पुरे जोश से मुझे चोद रहा था. लंड ने चुत को पूरा गिला कर दिया.
अहह आह्हः.. माँ अहह हां अहह हहह हाहाहा…बहोत ही मजी हुई चुत हे तुम्हारी. अहह अहा.. अहः.. कबसे तुम्हारी चुत को चोदना चाहता था. आज मिल ही गई तुम. अहह हहहह अहहह हाहाहा….
चुत को काफी देर चोदने के बाद जब लंड बाहर निकला, मनोज का लंड चुत के पानी से गिला हो चूका था. लंड से गिरती हुई पानी की बुँदे देख पता चल रहा था की लंड काफी अंदर तक गया था.
फिर मनोज ने मुझे पलटकर सुला दिया. में जैसे पलटकर सो गयी, मनोज मेरी पीठ पर टूट पड़ा. मेरे ऊपर सो कर मेरी पीठ को चूमने लगा. अहह अहहहहह.. निचे उसका खड़ा लंड मेरे गांड की बिच की दरार में घिस रहा था. मनोज पीठ को चुनते हुए निचे निचे जाने लगा. जैसे वो गांड पे पोहचा, मेरी गांड में मुँह डालकर चाटने लगा. दोनों हातोंसे गांड को दबा रहा था.
काफी देर गांड से खेलने के बाद मनोज ने मुझे घोड़ी बनाया और पिचेसे मेरी कमर को पकड़कर जो उसने लंड को चुत के अंदर डाला, फिर वो रुका नहीं. जोर जोर से धक्के देकर मेरी चुत को रगड़ने लगा. अहह अहह. हहह अहःअहः.. माँ अहहहह अहःअहः…… बहोत सही चुत है तुम्हारी माँ अहह अहह हहहहहहा..आह्हः हहहह
यहाँ मेरी भी हवस की सिमा नहीं रही. में भी चिल्लाने लगी. अहहह अहहअहह बेटा चोद मुझे अहहह हहहह अहहहहा… आह्हः अहा आह्हः …… बहोत ही मजा आ रहा था चोदने में. अहह हहह अहहह हाहाहा अहह हहहह.. आज अपनी माँ को स्वर्ग दिखा दे बेटा. अहहह अहहहहह….जोर जोर कुछ देर चोदने के बाद मनोज ने अपना पानी छोड दिया. पूरा पानी उसने मेरी चुत में ही डाल दिया. अहह अहह हाःहाह….
लंड का पानी खतम होते ही. लंड को चुत के बाहर निकाला और मेरी बगल में सो गया. उस दिन हम दोनों ऐसे ही नंगे पूरी रात सोये.
दूसरे दिन जब उठे तो दोनों के मुँह पर कुशिया थी. उस दिन के बाद से हम माँ बेटे जब भी मन करे चोदने का आनंद लेते है. दिन हो या रात. चुदना सुरु रहता है.