जिस दिन से मैंने इस नई बिल्डिंग में शिफ्ट किया था मेरी नज़र अवनी भाभी पर बनी हुई थी, उनके नैन नक्श इतने सुन्दर थे की मुझे उनसे प्यार सा हो गया था वो रंगत वो जिस्म वो बाल जो खुले होते थे तो कितने अच्छे लगते थे।
अवनी भाभी के हसबेंड का एक रोड एक्सीडेंट में इन्तेकाल हो गया था और तभी से उन्होंने सजना संवारना तो जैसे छोड़ ही दिया था लेकिन हुस्न कहीं छुप सकता है क्या और वो भी एक जवान जहान बेवा का, जो अकेली हो और जिसके पति ने उसके लिए अच्छा ख़ासा पैसा भी छोड़ा हो।
अवनी भाभी को पटाने के मेरे दो रीज़न थे और दोनों ही इम्पोर्टेन्ट थे, एक तो उनकी वो गर्म जवानी और दुसरे उनके पास अपने हसबेंड का ढेर सारा पैसा और प्रॉपर्टी। अब एक स्ट्रगलर को और क्या चाहिए लाइफ में भेन्चोद पट गयी तो ऐश ही ऐश होंगे।
यही सोच कर मैंने अवनी भाभी पर डोरे डालने शुरू कर दिए आए दिन उनके टाइम से टाइम मैच कर के उनसे मुलाक़ात करना उनसे हंस बोल लेना कभी कभी यूँ ही उनके लिए कुछ सामान ले आना, एक दिन करवा चौथ थी और वो दिन भर घर से बाहर नहीं निकली तो मैं समझ गया की वो अपने पति को मिस कर रही होंगी।
मैंने उनके फ्लैट की बेल बजाई और धीरे से जब उन्होंने दरवाज़ा खोला और मुझे खड़े पाया तो उनके रुआंसे चेहरे पर हलकी सी चमक आ गयी उन्होंने मुझे अन्दर बुलाकर बिठाया और चाय पानी पूछा तो मैंने कहा “जी वो आज तो आपके व्रत रखते हैं
ना” ये सुनते ही अवनी की आँखें छलक गईं। मैंने सॉरी बोला और बहाना बनाया की मुझे आपके रिलिजन और कस्टम के बारे में पता नहीं था सो मैंने वैसे ही पूछ लिया, अवनी ने कहा “कोई बात नहीं बस उनकी याद आ गयी”।
मैंने अवनी को नार्मल करने के हिसाब से कहा “अच्छा अगर आपको उनकी याद आती है तो आप क्या करती हो” अवनी ने झूठी मुस्कराहट के साथ कहा “मुस्कुराने की कोशिश करती हूँ” मैंने अवनी के पास जा कर कहा “तो कोशिश मत करो मुस्कुराओ, उन्हें भी ऊपर अच्छा लगेगा और आप भी अच्छी दिखती हो मुस्कुराते हुए”।
अवनी अपनी हँसी रोक नहीं पाई और बोली “तुमसे नहीं होगा, तुम तो झूठ मूठ में भी फ़्लर्ट नहीं कर सकते” मैंने कहा “सही में यार मैं इस सब में काफी बुरा हूँ”।
माहौल थोडा लाइट हो चला था और अवनी मैंगो शेक ले आई हम शेक पीते हुए बातें करने लगे, मैंने अवनी को ढेर सारे किस्से सुनाए जिस से उन्हें बहुत हल्का लग रहा था।
मैं जाने के लिए खडा हुआ और अवनी मुझे दरवाज़े तक छोड़ने के लिए खड़ी हुई तो टी टेबल के सामने से निकलने की जगह कम थी तो हम दोनों टकरा गए और अवनी गिरने वाली थी तो मैंने उन्हें बाहों में संभाल लिया।
इतना करीब आते ही हम दोनों का सब्र टूट गया और हम दोनों एक दुसरे को बाहों में भर कर प्यार करने लगे, वो मुझे चूम रही थी और मैं उसके बालों को सहलाते हुए उसके ख़ास बटन दबा रहा था मसलन गर्दन आँखों और सीने पर चूमना।
हम दोनों सोफे पर गिर गए और वहां भी एक दुसरे से लिपट कर जमकर प्यार करने लगे, अवनि के होठों को चूमने की मेरी हसरत मैंने पूरी की उसके चेहरे पर बाल बार बार आ रहे थे और मैं उन्हें हटा हटाकर उसके होठों के रस को पीने में लगा था।
अवनी नए मेरे होठों को चूमने के साथ मेरी छाती के बालों से खेलना शुरू किया और बोली “तुम्हारी खुशबु कितनी मर्दाना है और ये छाती के बाल तो मेरी जान ले लेंगे”
मैंने कहा “तुम्हारे करीब आने को मैं जाने कब से तरस रहा था अवनी” और इतना कह कर मैंने उसका कुरता उठा कर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया जिस से उसकी छातियाँ रिलैक्स हो गईं और मैं उन्हें हौले हौले मसाज करने लगा।
अवनी की हालत बुरी थी और वो सिस्कारियां भर भर के मेरा नाम ले रही थी, मैंने अवनी को पूछा “तुम वो क्या करना चाहोगी मेरे साथ जो तुम्हे सबसे ज्यादा पसंद था हमेशा”।
इस पर अवनी ने अपने घुटनों पर आकर मेरी जीन्स खिसकाई और मेरी अंडरवियर के ऊपर से मेरे लंड को चाटना शुरू किया, मैं खड़े खड़े मुस्कुरा रहा था और वो अपने दांतों में भींच कर मेरी अंडरवियर को नीचे खींच रही थी।
मेरा लंड उसके मुंह के इतना करीब था की अवनी की साँसें मुझे अपने लंड पर महसूस हो रही थी, अंडर वियर के नीचे खिसकते ही अवनी की आँखें चमक उठीं और उसने गप्प से मेरे लंड के टोपे को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी।
वो धीरे धीरे मेरे लंड को अपने मुंह की गहराईयों में लेती जा रही थी और उसने लगभग पूरा ही लंड अपने मुंह में गले तक ले कर बाहर निकाल लिया, अब मेरे लंड पर उसके थूंक से काफी गीलापन आ चूका था और उसने मुट्ठी में भींच कर मेरे लंड को बस अपनी जागीर समझ लिया।
अवनी मेरे लंड को हिला हिला कर ऐसे चूस रही थी जैसे ये वाकई उसका फेवरेट काम रहा हो, मैंने उसके सर पर हाथ फेर कर पूछा “अच्छा लग रहा है” तो उसने मेरे लंड से मुंह हटाये बिना ही बस हम्म कहा और फिर से लंड चूसने में बिजी हो गयी।
वो मेरे लंड को चूमती चूसती और चाटती रही और जब उसका मन किया उसने फिर से मेरे लंड को गले तक ले जा कर डीप थ्रोट कर लिया, मुझे इस सब में इतना मज़ा आरहा था की मैं रह रह कर “उफ्फ्फ्फ़ अवनी यू आर सो फकिंग ओसम बेबी, सक इट अप, सक इट हार्ड” कहने लगा
और वो बस ये सब सुन सुन कर मेरे लंड पर अपनी जीभ फिर फिर कर उसके मज़े ले रही थी। अवनी नए मेरे लंड को घुमा घुमा कर ऐसे हिलाया की मेरे लंड की जान निकलने वाली थी, सो उसने अपने हाथ को रोका और अपनी जीभ चलानी शुरू की।
अवनी मेरे लंड को नीचे से उपर तक भूखी निगाहों से देखते हुए चाट रही थी और इस सब में उसे मुझसे ज्यादा मज़ा आरहा था, मेरे गोटों को अवनी ने चूस चूस कर बुरी तरह गीला कर दिया था और अब उसने फिर से मेरे लंड पर अपना हाथ रख कर कस के भींचा और तुरंत मुझे अपने मुंह के पास खींच कर हिला हिला कर मेरा लंड चूसने लगी।
बस अब मेरे सब्र की इन्तहा हो गयी थी और मेरे होश हवास नए भी मेरा साथ छोड़ दिया था, मेरे लंड से निकली गाढ़ी मलाई अवनी नए मुंह में भरी थी, उसके चेहरे और चूचों पर भी गिरी थी जिसे उसने बिना कोई लोड लिया पी लिया और अपनी उँगलियों से उठा उठा कर चाट लिया।
फारिग होने के बाद मैं तो हल्का महसूस कर रहा था लेकिन अवनी ने दोबारा अपनी मेहनत से मेरे लंड को खड़ा किया और फिर अपनी चूत में लिया जो काफी मज़ेदार था, अवनी तीन चार दिनों तक मुझसे ऐसे ही चुदती रही
और फिर उसने एक दिन मुझसे कहा “देखो मैं तुमसे शादी तो नहीं करुँगी अभी क्यूँकी अभी अभी इनकी डेथ हुयी है सो उस में वक़्त लगेगा लेकिन तुम मेरे जिस्म और मेरी हर चीज़ के म्मालिक हो और कभी कहीं मत जाना”।
मैं मुस्कुरा दिया और अवनी से वादा किया की मैं कहीं नहीं जाऊँगा, अब अवनी मेरी ख़ास रखैल है और मैं उसे चोदकर उसका मज़ा लेता हूँ और उसे चुसाकर उसे भी मौज देता हूँ जिसके बदले वो मेरे खर्च उठती है।