नमस्ते, मेरा नाम करण है। आज मैं आपको अपनी गर्लफ्रेंड के साथ हुई एक खास घटना की कहानी सुनाऊंगा। मेरी गर्लफ्रेंड बहुत ही खूबसूरत और आकर्षक है। उसका फिगर 34-26-36 है। उसको देखकर मेरे कॉलेज के कई लड़के लड़खड़ा जाते थे। वह श्रुति हसन जैसी दिखती थी।
आइए अब मैं आपको मेरी कहानी पर ले चलता हूँ।
यह बात उन दिनों की है जब मैंने कॉलेज में एंट्रेंस लिया था। यहाँ नए कॉलेज और नए लोग थे, लेकिन जल्द ही अपने मस्त और हंसमुख व्यवहार के कारण बहुत से मेरे दोस्त बन गए।
उनमें से एक खास दोस्त रीमा भी थी… जिसे देखकर मेरा दिल धड़कने लगता था। वह भी बहुत सुंदर थी… एकदम अप्सरा जैसी। उसके शरीर के 36-32-36 कर्व भी कितने खूबसूरत थे!
वास्तव में हम एक-दूसरे को बस देखते थे, बहुत सी बातें करते थे और एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराते थे। लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि हम इतने करीब आ गए कि आज भी हम एक-दूसरे को अलग करने को तैयार नहीं हैं।
उस समय गर्मी का मौसम था और कॉलेज में छुट्टियां भी होने वाली थीं। परीक्षाएं हो चुकी थीं, बस परिणाम का इंतजार था।
एक शाम मैं छत पर कुछ दोस्तों के साथ मस्ती कर रहा था कि अचानक नीचे देखा तो रीमा आ रही है। उस समय गर्मी थी और हम सब दोस्त सादा लोअर और टी-शर्ट में थे।
मैं जल्दी अंदर गया और कपड़े बदलकर वापस आया तो देखा कि खिड़की पर रीमा खड़ी थी जो पहले ही आ चुकी थी। मैं कुछ कहने वाला था कि रीमा ने खुद ही कहा – “आपकी ज़िप खुली है।”
अब मेरी हालत पहले से ही खराब थी और रीमा की बात सुनकर मैंने जल्दी से अपनी ज़िप बंद कर ली।
फिर हम दोनों कमरे में आकर सोफे पर बैठ गए और शायद तब तक सभी दोस्त चले गए होंगे। मैं उस समय घर पर अकेला था।
मुझे चाय पीना बहुत पसंद है, इसलिए थोड़ी देर बात करने के बाद मैं रसोई में चला गया।
थोड़ी देर बाद जब मैंने देखा तो उस पल मेरा हाल खराब हो गया। मैं चाय बना ही रहा था कि पीछे से रीमा आई और मुझसे लिपट गई।
अब मेरा पहले से ही दिमाग काम नहीं कर रहा था… फिर ऊपर से ये रीमा की मस्त हरकत।
मैंने पीछे से रीमा के हाथ पकड़कर आगे किया ही था कि वह मेरे सीने से लिपट गई और अपनी तेज़ सांसों से मेरे दिल में आग लगाने लगी।
मैं भी थोड़ा गरम हो रहा था तो मैंने गैस बंद कर दी और रीमा से कुछ कहने वाला था कि उसके होंठों ने मेरे होंठों को जोर से चूमा। अब मुझे भी थोड़ा-थोड़ा सुख महसूस होने लगा।
मैंने रीमा को अपनी बाहों में भर लिया और उसके चुंबन का जवाब दिया। उफ्फ… उसके होंठ कितने मस्त थे कि उसे छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था। करीब 15 मिनट तक चूम-चुआती के बाद मैंने रीमा को अपनी गोद में उठाया और अपने कमरे में ले गया।
हमारा घर थोड़ा बड़ा है तो कमरे भी बड़े ही बनवाए गए हैं। मैंने रीमा को अपने बिस्तर पर बहुत प्यार से बिठाया और फिर मैं उसके बगल में लेट गया।
और उसके होंठों को चूमने लगा। अब अपने हाथों को उसकी ब्रा पर फेरना शुरू कर दिया। फिर धीरे-धीरे उसके कपड़े उतारने लगा।
वो भी मेरा साथ दे रही थी। मैं उसके होंठों को… गालों को… माथे को… कान के पास और फिर गर्दन और कंधे पर भरपूर प्यार से चूमता रहा।
अब रीमा मेरे सामने सिर्फ सफेद ब्रा और गुलाबी पैंटी में थी और मैं उसकी ब्रा उतारने लगा था। तो रीमा ने मेरी बेल्ट ढीली कर दी और मेरे लौड़ा को बाहर निकालना शुरू कर दिया।
ब्रा के खुलते ही रीमा ने मेरे लौड़े को अपने हाथों से सहलाया और कहा – “यह कितना बड़ा है?” मैंने कहा – “मुझे नहीं पता…” तो वो उठी और वहाँ से ही स्केल उठाकर मेरे लौड़े को मापने लगी।
वो खुशी से चिल्लाई – “हे भगवान… पूरा 7 इंच का है…” मुझे भी यकीन नहीं हुआ… क्योंकि पहली बार किसी लड़की ने मेरे लौड़े को हाथों से सहलाया था।
फिर रीमा ने मेरे लौड़ा को अपने होंठों में लेकर ज़ोर से चूमा।
मैं तो जैसे स्वर्ग में था… मैंने उसके बाल पकड़े और उसे अपने लौड़ा को मस्ती से चूसने लगा।
थोड़ी देर में ही मेरा निकलने वाला था। मैंने कहा – “मेरा सैलाब निकलने वाला है।” तो वो भी बहुत उत्साह से बोली – “मुझे पिला दो अपना रस… मैं तो बहुत दिनों से इसी रस की प्यासी थी।”
जैसे ही मेरा निकलने वाला था तो रीमा ने लौड़े को दांतों में दबा लिया। सच में दोस्तों मुझे इतना अच्छा लगा कि मैं देर तक अपने लौड़े को वैसे ही रखा और रीमा मेरे लौड़े का रस पीकर बहुत खुश थी।
फिर रीमा ने लौड़े को साफ किया और मेरे गाल पर चूमा। तब मेरी आँखें खुली और फिर अब प्यार का मेरा नंबर था। मैं भी कोई कसर नहीं चोदना चाहता था।
अब मैंने रीमा को बहुत प्यार से चुंबन करते हुए छित्त लिटा दिया और उसकी गुलाबी पैंटी को नीचे खींचकर उसके शरीर से अलग कर दिया।
हाय.. उसकी चिकनी चमेली ने मेरे लौड़े की हालत फिर से खराब कर दी और मेरा बौलाल फिर से अंगड़ाई लेने लगा।
मैंने उसकी चुत की दरार में अपनी उंगली डाली, वो एकदम से चीख गई। रस से सराबोर उसकी चूत में मेरी उंगली घुस गई।
उसने मीठी सी सिस्कार लेकर मेरे हाथ पकड़ लिया। मैंने भी उसके ऊपर झुकते हुए उसके नाभि को चूमा और अपने होंठों को उसकी चुत की तरफ लाना शुरू कर दिया।
‘अंशु..’ गुदगुदी होती है.. Ahh..’ ‘होने दो..’ मैं लगातार इस पल का मज़ा ले रहा था।
फिर मेरी जीभ की नोक उसकी चुत के दरार में घुस गई और वो एकदम से अकड़ गई और अगले ही पल वो झड़ गई, उसका नमकीन पानी मेरी जीभ से छू गया मैंने चपचाप करते हुए उसका रस चाट लिया।
वो शिथिल होकर मेरे सिर को अपने हाथों से पकड़े हुए थी। अब मैंने बैठकर उसे अपनी गोद में बिठाया और अपने सीने से लगा लिया।
वो अपने दोनों पैर मेरी कमर में लपेटे हुए मुझसे चिपकी हुई थी। कुछ देर हम दोनों इसी तरह लिपटे हुए बैठे रहे.. मेरा लौड़ा खड़ा होकर उसकी चुट से स्पर्श कर रहा था।
मैंने अपने दोनों हाथों से उसके छोटे-छोटे को उठाया और उसकी चुत के छेद को लौड़ा की नोक पर सेट किया।
उसकी चुत अच्छी थी। मेरा लौड़ा गीली चुत की दरार में घुस गया। उससे एक तेज ‘Ahhh..’ निकली पर मैंने उसे अपनी बाहों में बांधे हुए था।
मैं कुछ देर तक उसके होंठों को अपने होंठों से दबाकर चूमा और अपने छोटे-छोटे को उठाकर उसकी चुत में पेश करने की कोशिश करता रहा।
फिर मैंने उससे कहा – “थोड़ा दर्द सहने को तैयार रहना अब मैं पूरा अंदर कर रहा हूँ।”
उसकी आँखों ने मौन स्वीकृति दी और मैंने धीरे धीरे से अपना लौड़ा को उसकी चुत में डाल दिया।
वो चिल्लाना चाहती थी पर मैं सजग था। मेरे होंठ उसके आवाज पर पहरा दे रहे थे। कुछ देर तड़पने के बाद वो शांत हो गई। मैंने भी उसे नीचे से थोकर लगाना शुरू कर दिया।
फिर जब वो कुछ सामान्य हो गई तो मैंने इस तरह उसको लिटाया कि मेरा लौड़ा उसकी मुनीया में ही रहा और उसी समय मुझे हल्के से चुत की लालिमा दिखी पर मैं चुप रहा और अब पूरी तरह से उसके ऊपर चढ़कर मैंने उसकी चुदाई शुरू कर दी।
कुछ देर बाद वो अकड़ गई और झड़ गई पर मेरी धक्कापेल चालू थी फिर 10 मिनट की चुदाई के बाद उसकी चुत से अपना रस छोड़ना चालू हो गया तो मेरा लौड़ा चुत के दीवार में डूबकर अपनी जान दे बसी।
हम दोनों ही निःशब्द होकर एक-दूसरे से चिपक कर लेते रहे। कुछ देर बाद उठे और फिर एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगे।