कैसे हो दोस्तों. मेरा नाम अदिति है. कुछी महीनो पहले मेरी शादी अशोक से हुई थी. अशोक एक गवर्नमेंट जॉब करता है. उसका जॉब देखकर ही मेने शादी के लिए हा बोला था. वैसे वो दीखनेमे इतना कोई खास नहीं है. शरीर से दुबला पतला और हमेशा शर्ट पैंट पहनता है. परिवार में, अशोक, सास, ससुर जी रहते है. घर काफी बड़ा था. सबकेपास अपना कमरा था. सास के घुटने में दर्द होने की वजसे वो ज्यादा तर अपने कमरेमेही रहती थी. मुझे घर में कोई काम नहीं था. नौकर सुबह आते थे और काम करके चले जाते थे. पूरा दिन में या तो टीवी देख रही होती थी या अपने कमरेमे सोई रहती थी.
में काफी खुली विचार की लड़की हु. दीखनेमे गोरी हु और शरीर भी आकर्षक है. मेरे पीछे बहोत से लड़के पड़े थे. कितनोने तो शादिकेलिए भी प्रस्ताव रखा था मेरे पापा मम्मी के सामने. पर पापा की जिद थी के लड़के के पास सरकारी नौकरी होनी चाहिए. पापा की इस जिद की वजसे मुझे जबरदस्ती अशोक से शादी करनी पड़ी थी.
मेने खुश दिन तक तर अपने आपको संभाला. पर अभी शादी को करीब ८ महीने हो गए है. अशोक मेरे बारेमे कुछ सोचतेहि नहीं. सुभह जल्दी काम पे चले जाते है. और रातको देर से आते है. आतेहि खाना खाके सो जाते है. नहीं बात हो पाती है और नहीं कोई शारीरिक सुख मिल पा रहा है.
१५ दिन में एकबार मूड हुवा तो अशोक रातको मेरे ऊपर चढ़ जाते है. अपने आप को खुश करके सो जाते है. इन सब चीज से में तंग आ गयी थी. एक दिन रातको में बहार हॉल में सोफे पे शांत बैठी थी. तभी ससुरजिने मुझे वह पे परेशान देखा. वो मेरे पास आये और बोले क्या हुआ बहुरानी.
में पहले तो उनका आवाज सुनके चौक गयी. उनकी तरफ देखा और कहा खुश नहीं ससुरजी. कमरेमेही जा रही थी अभी. उनका फोन आया था तो बात कर रही थी. ससुरजिने पूछा क्या कहा अशोक ने. तो मेने उन्हें बताया, वो आज घर नहीं आ रहे है. उनको ऑफिस के काम से बहार जाना पड़ रहा है.
मेरे चेहरेपर फैले दुःख को ससुर जीने देख लिया. उन्होंने पूछा क्या बात है तुम्ह बहोत परेशान लग रही हो. मुझे बताओ शायद में तुम्हारी कुछ मदत कर सकता हु. पहले तो कुछ देर में शांत बैठे रही. और फिर पता नहीं क्यों मुझे रोना आ गया. ससुर जी परेशान हो गए मुझे रोतेहुए देखकर. वो तुरंत मेरे पास बैठे और मुझे पूछने लगे के क्या हुआ.
मेरे पास बताने के लिए तो बहोत खुश था पर ससुरजीको कैसे ये सब बताऊ. वो बार बार पूछने लगे. तो मेने उन्हें कहा की शायद अशोक मुझसे प्यार नहीं करते.
तो ससुर जी बोले. नहीं ऐसा कुछ नहीं है. वो करता है तुम्हे प्यार पर बताता नहीं है.
तो मेने ससुर जी को बताया की… वो रातको भी देर से आते है. और खाना खा के सो जाते है. हमारी कोई बात नहीं होती. एक औरत को जो अपने पतिसे प्यार मिलना चाहिए वो मिलता ही नहीं. आप ही बताओ में क्या करू.
ससुर जीने मुझे थोड़ी देर देखा और कहा. अशोक थोड़ा अपने काम के बारेमे बहोत गंभीर है. शायद इसीलिए वो तुम्हारी तरफ ध्यान नहीं दे पाता. पर तुम चिंता मत करो. में हु ना यहाँ पे. एक घरका आदमी ध्यान नहीं देता तो दूसरा घरका बड़ा है ना तुम्हारी देखभाल करनेकेलिए.
ऐसे कहतेहुए ससुरजिने मेरे पैर पे हात रखा. में गर्दन निचे करके बैठी थी. ससुर जी आगे बोले. तुम्हे कुछ भी चाहिए होगा तो मुझे बताना. में तुम्हारी सारी इच्छा पूरी करूँगा. बात करते हुए वो मेरे जांघ पे हात घुमा रहे थे. मुझे डर लगने लगा. में थोड़ी देर वहा बैठी रही ससुर जिकी बाते सुन रही थी. फिर उन्हे मेने कहा की रात बहोत हो गयी है में जाती हु सोने. सुभह जल्दी भी उठना है. और वहासे चली आई कमरेमे.
रातको सोने से पहले मुझे अजीब अजीब ख्याल आने लगे. मुझे महसूस हुआ की मेरे ससुर मेरे शरीर की तरफ आकर्षित हो रहे है. उनकी बाते बदल रही थी. दूसरे दिन सुभह. में भगवान की पूजा करके प्रसाद लेके सास ससुर को देने उनके कमरेमे आई. सास नहा ने गई थी. ससुर ने मुझे आते हुए देखा और खड़े हो गए. मेने उनको प्रसाद दिया और पैर पड़ने केलिए झुकी. जैसे में झुकी ससुरजिने मरे पीठ पे हात रखके ऊपर से निचे कमर तक घुमाया.
में फिर से खड़ी हुई. तभी सास भी बाथरूम से बहार आ गयी. ससुरजिने फिर से मेरे कमर पे हात रखा और कहा अपनी सास को भी प्रसाद दे दो.
वो वैसे नहीं बोलते तो भी में देने वाली थी. मुझे यकीन हो गया की ससुर जानभूझकर मेरे शरीर को हात लगा रहे है. उसी दिन दुपहर को में खाना बना रही थी. तभी ससुर जी मेरे कमरेमे आये और मेरे पास आके खड़े हो गए. काफी देर तक बात कर रहे थे. तभी मेरा ध्यान उनकी तरफ गया. मुझे पता चला वो मेरे स्तन के बिच वाली दरार में झाक रहे थे. खाना बनाते समय मेने अपनी ओढ़नी कमरेमे रख दी थी. और ड्रेस ऊपर से काफी खुला खुला था. इसलिए वो झांककर अपना मन बहलारहे थे.
मेरे खाना हो ही गया था. में किचेन से निकलने वाली थी के फिरसे ससुर जीने मेरे कमर पे हात लगा दिया और बोले तुम बहोत ही अच्छा खाना बनती हो. वो बात करते करते मेरे पीठ पे हात घुमाने लगे. मेरी ब्रा की पट्टी पे हात घुमारहे थे.
किसी तरह में वह से निकल आयी. उस दिन से मेने अनुभव किया की ससुर जी बार बार मेरे शरीर को बुरी नजर से देख रहे थे. उनकी नजर मेरे स्तन पे होती थी. जभी में अकेली दिखू जानबूझकर मेरे नजदीक अनेकी कोशिश कर रहे थे.
मेने सोचा की अशोक को बताऊ. पर फिर बात टाल दी. रातको अशोक सो गया लेकिन में सोच में ही थी. आज मुझे कुछ करना था. मुझे लगा की आज तो अशोक मुझे चोदेगा. मेरी चुत मरेगा. मेरे मम्मे को चूसेगा. पर उसने कुछ भी नहीं किया. एक मेरा पती है की मुझे चोदता नहीं और वह ससुर मुझपे चढ़नेकेलिए बेक़रार हुए जा रहे है.
दूसरे दिन अशोक को मेने दुपहर को कहा की आज रातको करते है. उसने तभी तो हा कहा. पर जब रातको घर आया. फिर से थक गया हु बोलके सो गया. उस दिन रातको में बहोत ग़ुस्से में थी. समज नहीं आ रहा था क्या करू.
रातको ठीक तरसे सो ही नहीं पाई. सुभह जब उठी. चुत बहोत तप गई थी. उसे एक लंड की जरुरत थी. अशोक जॉब पे निकल गए. में अपने काम में लग गयी. मुझे काम में आज मन नहीं लग रहा था. शरीर गरम हो चूका था. ऐसे लग रहा था की सारे कपडे निकाल के नंगी होके सो जाऊ.
किसी तरह अपने आप को संभाल के किचेन में काम करने लगी. कुछ देर बाद ससुर जी आये. उनका वही फिर से सुरु हो गया. मुझे पता था की कुछ न कुछ बहाना बनके ये मुझे हात लगाने की कोशिश करेंगे. और हुआ भी वही.
में सब्जी काट रही थी. ससुर जी पिछेसे आये और मेरे कमर पे हात रखके मुझे पूछने लगे क्या बना रही हो. पर इसबार जो उन्होंने मेरे पीठ पे हात घूमना सुरु किया मुझे वो स्पर्श अच्छा लगने लगा. में धीरेसे बात करते हुए ससुर को बताने लगी. ससुर जी अब मेरी पीठ पे ऊपर से निचे हात घुमाने लगे.
कुछ होनेही वाला था की तभी सास ने कमरेमेसे ससुर जी को आवाज दी. और उन्हें जाना पड़ा. में बच गयी. पर उनकी हरकत ने मुझे उनकी तरफ आकर्षित कर दिया.
शामको ससुर जी हॉल में अकेले बैठे थे. मुझे उनको चाय देनी थी. तो मेने जानबूझकर अपना सलवार गलेसे और निचे कर दिया. ब्रा को ऊपर उठादिया ताके ससुर जी को मेरे बड़े बड़े मम्मे और उसकी बिच की दरार ठीक से दिखे. में चाय लेके आई और ससुर जी के सामने टेबल पर रखने लगी. ससुर जी की नजर मेरे मम्मे पर पड़ी. वो चौक गए. में जानभूझकर कुछ देर तक असेही चाय रखनेका नाटक कर रही थी ताकि ससुर को देखने का मौका मिले.
फिर में अंदर चली गयी. मेरे मम्मे देखने के बाद ससुर जी उत्तेजित हो गए थे. वो बार बार मेरे पास आने की कोशिस कर रहे थे. में भी जानभूझकर दूर से उनको अपना शरीर दिखाके चिढ़ा रही थी. कढ़ी झुकके अपने मम्मे दिखा रही थी तो कभी पीठ करके झुकके अपनी गांड उनकी तरफ करके उनको और उत्तेजित कर रही थी.
शाम होते होते मेने ससुर जी को तपा दिया था. उनकी वासना चर्म सिमा पर थी. रातको दोनों सास ससुर को खाना देके में अपने पती अशोक की रहा देख रही थी. उनको फोन किया तो उन्होंने कहा की देर हो जाएगी आज तुम खाना खा लो. तो मेने भी खाना खा लिए.
करीब १२ बजे फिर से मेने अपने कर्मरे से अशोक को फोन किया. तब अशोक ने कहा की वो आज नहीं आ पाएंगे. ऑफिस मेही ठहर रहे है. मेरी बात बहार खड़े ससुर जीने सुन लिया. उंन्होने धीरेसे दरवाजा खोला. और अंदर आ गए. मेने उनकी तरफ देखा. वो दरवाजा बंद करके मेरे पास आये और बगल में बैठ गए. मेने उनको बताया की अशोक घर नहीं आने वाले आज.
मेरी बात सुनतेही ससुर ने मेरे पीठ पे एक हात रखा और मुझे समजने लगे. उनका हात पूरी पीठ पर ऊपर से निचे तर घूम रहा था. अब तक तो सब ठीक था पर जैसेही ससुर ने अपना दूसरा हात मेरी जांघ पे रखा. मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया. पहलेसे तपी हुई चुत जग गई. मेरा पूरा ध्यान ससुर की बातो से हट के अभी उनके दोनों हातो पे था. ससुर जी जांघ पे हात धिरे धीरे ऊपर निचे घूमने लगे. उनकी उंगलिया मेरे चुत के करीब जाने की कोशिश कर रहे थे.
खुश देर तक तो मेने अपने आप को संभाल लिया था. पर फिर मेरा सबर का बांध टूट गया. में ससुर की तरफ झुकी और उनके कंधेपे अपना सर रख दिया. जैसेही में उनके करीब आई ससुर जीने मेरे होठो पे अपने होठ रखदिये और मुझे चूमने लगे. मेरे मुँह को एक हतोसे पकड़ के मेरे होठोंका रस पिने लगे. इस वक्त मेने अपने आप को ससुर जी को सोप दिया था. उन्होंने चुम्बन लेते हुए मेरे मम्मे दबाना सुरु किया. अहहह हा हहह हहहहहहहहहहहह….
उनका हात मम्मे पे लगते ही मेरे शरीर में खुश होने लगा. वो जोर जोर से मेरे मम्मे दबा रहे थे और होठोंको चूस रहे थे. कुछ समज नहीं आ रहा था क्या हो रहा मुझे. में सिर्फ आनंद ले रही थी. ससुर ने कुछ देर मुझे चूमा और फिर वो पीछे हात गए. मेरे सामने खड़े हो गए. जल्द बाजिमे अपनी धोती खोली. अंदर उन्होंने कच्छा पहना था. मुझे दिख रहा था की अंदर कुछ तो बड़ा और लम्बा हथियार रखा हुआ है. ससुर जी धोती निकाल के मेरे सामने आये.
मेने प्यार से उनके कच्छे पे हात घुमाया. फिर कच्छे को दोनों हतोसे पकड़कर निचे खींचा. जैसी कच्छा निचे गिरा. ससुरजीका लम्बा लंड बहार निकला. तनावहुआ ससुरजीका लंड देखके में चौक गयी. मेने प्यार से लंड को हात में पकड़ा और आगे पीछे हिलने लगी. मेरा हात लंड पे लगतेहि ससुर जी आवाज करने लगे. अहह अहा यह ः हा हाहाहाहा हां … हिलती रहो ….हहहह हहहहहहह.. मजा आ रहा है बहु..अहहहह हाहाहा अहहहह.
इतना बड़ा लंड था की मुझे दोनों हतोसे पकड़ना पड़ा. मुठीसे पकड़के हिलने लागली. काफी देर दिलाया फिर धीरेसे जीभ लंड पे घिसने लगी. धीरे धीरे पूर्ण लंड को मेने चाट लिया. बहोत मजा आ रहा था मुझे लंड को चाटने में. फिर लंड को मेने मुह में लिया और चूसने लगी. आहः अम्म्मा अम्मा ममम ममम ममममममममम अम्माम्मा मम्मा मां ….
जितना हो सके उतना लंड मुह में लेके मेने चाट लिया. पूरा अंदर डालना तो मुमकिन नहीं था. फिर ससुर जीने मुझे बेड पे सुला दिया. मेरा कुरता निकाल के ब्रा निकाल दी और मेरे मम्मे चूसने लगे. पुरे नंगे होक मेरे ऊपर आ गए और जोर जोरसे मम्मे दबाके चूचियों को चूसने लगे. अह्ह्ह्ह हह अह्हह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह अह्हह्ह्ह्ह ह… चूचियों को चूसते हुए खींचने लगे.
खुश देर स्तन को चूसने के बाद ससुर ने मेरा पजामा खींच के निकाल दिया. मेरी गुलाबी चड्डी दिखने लगी. ससुर जीने पहलेतो मेरे जाँघोंपे हात घुमाया फिर दोनो हातोंसे चड्डी खिचके मुझे पूरा नंगा कर दिया. मेरी चुत देखके ससुर बोखला गए. उन्होंने तुरंत मेरे पैर फैलाये और मेरी चुत पे टूट पड़े. जीभ चुत में डालके चाटने लगे. ऊपर से निचे तक चुत पे जीभ घुमारहे थे. में यहाँ मदहोश हो चुकी थी. आवाज करने लगी. अहहह अहा हां अहहह अहह हहह हहहह हहहहह अह्ह्ह्ह.
ससुर ने पूरी चुत को चाट लिया. चुत में अपनी बिच की बड़ी ऊँगली डालके हिला रहे थे. अंदर बहार कर रहे थे. चुत का पानी पीनेके बाद उन्होंने मुझे उल्टा लिटा दिया. मेरी गांड देखके वो पागल हो गए. गोरी और बड़ी गांड बहोत दिनों बाद उन्हें देखने मिली थी. उन्होंने जोर जोर से गांड को दबाना सुरु किया. गांड को चूमने लगे. अपना मुँह गांड पे घिसने लगे. काफी देर तक उन्होंने मेरे गांड के साथ खेला.
फिर मुझे सीधा लेटा के पैर फैलाके अपना लंड चुत में घुसेड़ दिया. लंड को अंदर तक डालके जोर जोर से मुझे चोदना सुरु किया. लंड पूरा अंदर गया था. ससुर जी जोर जोरसे चोदने लगे. हम दोनों आवाज कर रहे थे. अहाहा हां अह्ह्ह अहहह अहह अहह हहहहह अहहह हाहाहा हहहह…..
कुछ देर बाद ससुर जीका पानी निकलने वाला था. तो उन्होंने लंड बहार निकला मुझे बैठाया और मेरे मुँह में लंड देके पुराण पानी निकाल दिया. मेरा मुँह ससुर जीके सफ़ेद पानी से भर गया था. कुछ तो मेने पि लिया. पर काफी मुँह से बहार आ गया और मेरे मम्मे पे फैल गया.
पानी निकालके ससुर जी शांत हो गए. वो पीछे हो गए. उन्होंने अपने कपडे पहने और नीकल गए. में भी पूरी थकी हुई थी. इसलिए ऐसेही नंगी कमरेमे सो गई.
उस दिन बहोत मजा आया. अब जब भी अशोक घर नहीं आते. में ससुर जीके साथ मजे लेती हु.
कैसे लगी कहानी जरूर बताना.