मेरा बेटा अमरदीप ९ वि कक्षामे पड़रहा था. उसको बचपनसेही पढाई में कोई दिलचप्सी नहीं थी. हमेशा खेलता रहता था. या दोस्तों के सात पुरे गांव में घूमता रहता था. हमारा छोटासा गांव है. करीब ३० घर होंगे पुरे गांव में. अमरदीप की पाठशाला दूसरे गांव में है. अमरदीप के पापा ट्रक चलाते थे. इसलिए वो महिनोतक बहार ही रहते थे. उन्हें ट्रक लेके दूसरे शहरों में जाना पड़ता था. घरमे हमेशा में और मेरा बेटा अमरदीप ही रहा करते थे.
अभी तक तो किसी तरह जुगाड़ से अमरदीप पास हो गया था. लेकिन इसबार मुझे ज्यादा आशा नहीं थी के वो पाठशाला में पास होगा. क्यूंकि जो भी बच्चे दशवी कक्षा में भेजे जाते है. उनको काफी कठिन परीक्षा के पेपर देने पड़ते है. परीक्षा के दिन जब भी में अमरदीप को पूछती थी, कैसे गया पेपर तो हमेशा यही कहताथा की अच्छा गया.
आखिर कर परीक्षा ख़तम हुई. और कुछ ही महिनोमे उसके परीक्षा के परिणाम आने का दिन नजदीक आ गया. परिणाम के दिन अमरदीप को मेने सुभह जल्दी उठाके पाठशाला भेज दिया था. दोपहरको जब वो अपना रिजल्ट लेके आया. तो पता चला की वो पास नहीं हुआ है. उसके वर्ग से ५ बच्चे पास नहीं हुए थे. उसमे अमरदीप का नाम भी था.
में बहोत घुसा हुई अमरदीप पे. पर उसे कोई फरक ही नहीं पड़ रहा था. में मारूंगी उसे इसलिए वो घरसे खेलने भाग गया. में घरमे बैठे परेशान होक सोच रही थी की क्या करू इस लड़के का. उसके पापा को पता चला की ये पास नहीं हुआ है तो बहोत नाराज होंगे.
कुछ देर तक मेने बैठ के सोचा. फिर मेने कुछ लोगो को फोन करके पता किया की पाठशाला में प्रिंसिपल कोण है. मुझे लगा की एकबार प्रिंसिपल से बात करके देखनी चाहिए. अगर वो अमरदीप को पास करनेकेलिए पैसे भी लेते है. तो में देने के लिए तैयार थी.
दूसरे दिन सुभह करीब १० बजे में पाठशाला पोहच गई. बहार से देखकर लग रहा था की आज पाठशाला बंद है. अंदर कोई दिख नहीं रहा था. में अंदर आकर प्रिंसिपल का कमरा ढूंढने लगी. तभी सामनेसे एक औरत कमरेसे बहार निकली. उनको पूछा तो उन्होंने कहा की ऊपर के मंजिल पर दाये हात पे प्रिंसिपल का कमरा है.
में ऊपर आकर कमरा ढूंढने लगी. सबसे कोनेका कमरा प्रिंसिपल का था. दरवाजेके पास आकर मेने दरवाज खटखटाया. अंदर एक ४५ से ५० ला का आदमी बैठा हुआ था. वही प्रिंसिपल थे. उन्होंने मुझे अंदर आनेको कहा और पूछा क्या काम है. मेने डर डर के प्रिंसिपल को कहा की मेरा बेटा ९ वि कक्षा में पडताथा. वो इसबार फेल हो गया है. मेने अमरदीप की मार्कशीट प्रिंसिपल को दिखाई. उन्होंने वो मार्कशीट देखि और बोले. आपका बेटा बहोत ही कमजोर हे पढ़ाइमे. मेने उनसे बिनती की के वो उसे पास कर दे.
लेकिन उन्होंने साफ मन कर दिया. में फिर से उनको कहा कुछ लेनदेन करके अगर पास करसकते हो तो में उसके लिए भी तैयार हु. मेरी वो बात सुनके प्रिंसिपल के कान खड़े हो गए. वो मुझे ऊपर से निचे तक देखने लगे. मेने कहा की में पैसे देने के लिए तैयार हु. तो प्रिंसिपल बोले मुझे पैसे नहीं चाहिए. और मेरी स्तन को एक नजर देखने लगे.
में थोड़ी असह्य महसुन करने लगी. क्यूंकि प्रिंसिपल ठरकी लग रहा था. लेकिन मेने कोई जल्दबाजी नहीं की. में उनकी बात सुनते रही. मेने उनको कहा की आप जो बोलो में देने के लिए तैयार हु.
मेरी वो बात सुनके वो खड़े हो गए. उन्होंने पीछे रखे पेपर के गट्ठे से अमरदीप के पेपर निकाले और मेरे पास आकर खड़े हो गए. और अमरदीप के पेपर को खोलकर मुझे दिखने लगे. अब तक तो सभी ठीक था. लेकिन अचानक प्रिंसिपल ने अपनी कोणी मेरे दाये स्तन पे घिसना सुरु कर दिया. मुझे पता चल रहा था. लेकिन मेने कुछ नहीं कहा. पेपर को पलट पलट कर दिखाते समय वो अपने हातो की कोणी से मम्मे दबा रहे थे.
मेने सलवार कमीज पहनी थी. मेरे बड़े और मुलायम मम्मे जोर से दबने लगे. मेने सोचा यहाँ पे वैसे भी कोई नहीं है. अगर कुछ होता भी है तो किसी को पता नहीं चलेगा. मेने प्रिंसिपल को रोका नहीं और वो जो कर रहे थे उन्हें करने दिया. कुछ देर बाद जब प्रिंसिपल को पता चला की में उन्हें कुछ भी नहीं बोल रही हु. तो उन्होंने मेरे हात में एक पेपर दिया और खोलके देखने कहा. में पेपर देख रही थी. तभी प्रिंसिपल ने बात करते करते पेपर के निचे से मेरे मम्मे को हात लगाया. पहले ऊँगली घुमाने लगे. जैसे उने पता चला की में कोई प्रतिरोध नहीं कर रही हु, तो उन्होंने सीधा मेरा दाया स्तन हात से दबा दिया. में चौक गयी. पर कुछ नहीं बोली. प्रिंसिपल ने धीरे धीरे मेरे मम्मे दबाना सुरु किया. वो बात करते करते मम्मे पेपर के निचे से दबा रहे थे.
ऐसे जता रहे थे के कुछ नहीं हुआ. प्रिंसिपल के मम्मे दबानेसे शरीर में बढ़नेवाली कामवासना मेरे चेहरपे धीरे धीरे दिखने लगी. जैसे प्रिंसिपल ने जोर से मम्मे दबाना सुरु किया मेरे मुँह से ….अहःअहः अहह.. की आवाज निकली. मेरा आवाज सुनके प्रिंसिपल जोश में आ गए और वो दोनो हातोंसे मेरे मम्मे दबाने लगे. मेने हातोंमे पकडाहुवा पेपर टेबल पर रख दिया. प्रिंसिपल ने मेरे दोनो मम्मे धर लिए थे. वो जोर जोर से दबाने लगे.
उन्हेने देखा दरवाजा खुला ये. कोई देख न ले इसलिए वो तुरंत गए और दरवाजा बंद करके मेरे पास आये. और मेरा मुँह पकड़ कर मेरे होठोंपे होठ रख दिए और चूमने लगे. अहहह हहह है.. उम्म्म मममममममम….. प्रिंसिपल मेरे होठ चूसने लगे. पूरा मुँह पकड़के जोर जोर से रगड़ने लगे. उन्होंने मेरा कमीज़ ऊपर उठा लिया और मेरे ब्रा देखकर उसपे मुँह रगड़ने लगे. जोर जोर से मम्मे दबाने लगे.
में जोर से आवाज करने लगी. अहहह हहहह हहहहहहह अहहहहहहहहहह…
मम्मे दबाते समय वो ब्रा ऊपर करने लगे. लेकिन मेरे मम्मे उसमे फ़सनेकेवजसे वो निकल नहीं पा रहा था. उनको सहायता करनेकेलिए मेने पिछेसे अपना ब्रा का हुक खोल दिया. और ब्रा निकल आया. प्रिंसिपल जी ने तुरंत ब्रा ऊपर करके मेरी चूचिया दबादी. वो मेरे आम देखके उत्तेजित हो उठे. उन्होंने चूचियों को मुँह में लेलिया और जोर जोर से चूसने लगे. मेरे मम्मे दबा दबाकर उन्होंने चूसना सुरु कर दिया. में यहाँ मदहोश हो गई थी.
मेने जोर जोर से आवाज करना सुरु कर दिया. अहह अहह अहहह हहह अहह हहहहहहहहहह….. मुझे भी मजा आने लगा. बहोत दिन से मेरे पति भी घर नहीं आये थे. में भी तड़प रही थी. प्रिंसिपल ने जो चूचियों का दातोंसे खींच खींच के चूसना सुरु किया. मेरा शरीर पूरा तप गया. में प्रिंसिपल जी के बालोमे हात घुमाते हुए उनको प्यार करने लगी.
५० की उम्र लग रही थी. लेकिन काफी ठरकी थे प्रिंसिपल. मेने अपनी कमीज उतार दी और ब्रा भी निकल दिया. प्रिंसिपल ने मेरे मम्मे पुरे चाट लिए. जब तक वो मेरे मम्मे के मजे ले रहे थे. मेने उनका शर्ट निकल दिया.
काफी देर बाद प्रिंसिपल पीछे हटे. उन्होंने सीधे अपनी पैंट उतारी और अंडरवेर भी निकाल दी. पुरे नंगे मेरे सामने खड़े हो गए. मुझे लंड हिलाकर दिखाने लगे. उन्होंने मुझे लंड मुँह में लेने कहा. में तुरंत सामने बैठ गई और प्रिंसिपल का लंड हात में जकड लिया. मुठी में लंड को जकड कर जोर जोर से आगे पीछे हिलने लगी. लंड काफी गरम और कड़क लग रहा था. जोर जोर से लंड को हिलाके मेने मुँह में लंड डाला. अहहह हाहाहा. उम्म्म.. मुँह में लंड जाते ही मुझे कुछ हो सा गया. में जोर जोर से प्रिंसिपल का लंड चूसने लगी. जीभ से लंड को चाटने लगी. बहोत मजा आ रहा था. अहह हां हाहाहा हाहाःहाहाः. अमममम अम्म्मम्म अम्मामा…. पूरा लंड मुँह में लेके चाटने लगी. काफी बड़ा लंड था प्रिंसिपल जी का. लंड के साथ निचे लटके गोटे भी चाट लिए. पूरा लंड मेरी थूंक से गिला हो गया था.
फिर में खड़ी हुई. प्रिंसिपल ने तुरंत मुझे सामनेवाले अपने टेबल पर सुला दिया. मेरी सलवार खींच के उतार दी. अंदर जो पैंटी पहनी थी, वो भी खींच के निकाल दी और सीधा मेरी चुत पे मुँह लगाके चूसने लगे. अहहहह ाहाःहाहा हहहहहहहहह… चुत में जीभ डाकले घिसने लगे. अहहह अहहहहहहह.. बहोत मजा आ रहा था. मेरी चुत नाचने लगी. कभी ऐसा अनंदा पहले नहीं मिला था.
प्रिंसिपल ने अपनी दो उंगलिया चुत में डालके हिलाना सुरु कर दिया. तब मेरे मुँह में जोर जोर से आवाज आने लगा. अहहह है अहा है अहहहहह हाहाहाहाहा. अहहहहह अहहहहहह… प्रिंसिपल साहब अहहह हां अहहह हहहहह…..
प्रिंसिपल जी ने मेरी पूरी चुत चाट ली. फिर पीछे हटे. और मेरे दोनों जांगे पकड़ कर टेबल के किनारे खींच लिया, और दोनों पाव के बिच खड़े होकर अपना लंड डाल दिया चुत में. अहहह हहहहहहहहहह…
प्रिंसिपल जी मुझे अपनी रखेल समझने लगे थे. जोर से लंड को धकेल के चोदने लगे. हहह हहह अहह अहहहहहह अह्ह्ह्ह हाहाहाःहाहा हहहहहहह.. उनकी सास फूली जा रही थी. लेकिन वो रुके नहीं. जोर जोर से लंड चुत के अंदर बहार किये जा रहे थे. अहह अहह हाहाहा…. मुझे भी बहोत मजा आ रहा था. लंड चुत में घिसड़ के अंदर बहार हो रहा था. कुछ देर बाद मेरी चुत ने पानी निकाल दिया. में चिल्लाई. अहहहह अहह अहह अहहह ाहः हहहह…… अहह अहह हाहाहा…
प्रिंसिपल जी अभी भी चोद रहे थे. काफी देर बाद. प्रिंसिपल ने लंड चुत से बहार निकला. फिर उन्होंने मुझे टेबल के किनारे झुक के खड़ा किया. मेरे पीछे आये और मेरी मोठी रसीली गांड पे हात घुमाने लगे. दोनों हातोंसे गांड को दबाके मजे लूटने लगे. गांड पे पप्पिया करने लगे. गांड के साथ कुछ देर खेलके. फिर सीधे खड़े हो गए. पिछेसे अपना लंड चुत में घुसेड़ा और मेरी कमर को दोनो हातोंसे जकड के जोर जोर से चोदना सुर किया. अहहह है हहह अहह हां आह्हः हां हहहह हहह हहह अहहहहह…..
काफी मजा आ रहा था ऐसे चोदने में. प्रिंसिपल जी अभी पुरे जानवर बन गए थे. जोर जोर से धक्के देके चोद रहे थे. गांड पे मेरे फटके पड़ रहे थे. अहहह हहहहहहहहहहहह….काफी देर प्रिंसिपल ने मुझे चोदा और पानी निकलने के पहले लंड निकाल के मेरी गांड पे पूरा पानी उड़ा दिया. अहहहहह…. मुझे गांड गरम पानी उड़तेहुए महसूस हो रहा था.
फिर प्रिंसिपल जी शांत हो गए. हम दोनों ने पहले अपने अपने कपडे पहन लिए. और प्रिंसिपल ने दरवाजा खोल दिया. हम आराम से बैठे और प्रिंसपले ने मेने कुछ बोले बिना ही अमरदीप के प्रमाण पत्र पे मार्क्स बधादिये और उसे परीक्षामे पास कर दिया. में वो देखके बहुत खुस हो गयी.
आज पहिली बार दो आनंद एक साथ मिले थे. एक तो अमरदीप पास होने के, और प्रिंसिपल से चुदवानेसे. जाते जाते प्रिंसिपल ने कहा. बिच बिच में मिलते रहना. में तुम्हे खर्च केलिए पैसे दे दूंगा.
उस दिन से. में कई बार में प्रिंसिपल को घर पे मिलने गयी थी और उनसे चुदवाया करती थी. प्रिंसिपल जी मुझे अच्छे खासे पैसे भी देते है. वो मेरा बहोत ख्याल रखते है.