माँ को ब्लैकमेल करके चोदा

मेरा नाम अजय है. में उत्तर प्रदेश के एक गांव में रहता हु. जबसे मेरा लंड खड़ा होना सुरु हुआ हे, मेने सिर्फ एक ही औरत के बाहेर में सोचा है और वो हे मेरी माँ. उसका कारन ये है की, मेरी माँ थोड़ी भोली है. उसे लगता है की में बहोत सीधा साधा लड़का हु. मुझे कुछ नहीं समाज आता.

में उसे बचमन से अपने सामने कपडे पहनते हुए देख रहा हु. में बड़ा हो गया. पाठशाला जाने लगा. तो भी मेरी माँ मेरे ब्लाउज़ पे घूमती थी. में एक दिन सुभह घरेमे चाय पि रहा था. तभी उसे कही बहार जाना था. घरमे में और मेरी माँ थी. पापा काम से बहार गए थे. अब मेरे सामनेही अपनी साड़ी बदलने लगी. सामनेही झुक झुक के अपने स्तन और उसके बिचकि दरार मुझे दिखा रही थी. में भी क्या करता, मेरा भी मन किया देखने का. तो नजर चुराके उसे साड़ी पहनके देखने लगा.

एक दिन तो बाथरूम से मुझे आवाज दिया और बोली साबुन ख़तम हो गया है, अंदर से नया साबुन लाके देना. में गया और बाथरूम के बहार से माँ को आवाज दिया तो उसने बिना कुछ सोचे दरवाजा खोला और मेने माँ को अपने सामने बिना ब्रा के देखा. उसके बड़े बड़े स्तन और चूचिया देखके चौक गया. निचे उसने चड्डी पहनी थी, जो की गीली हो गयी थी.

अब जब माँ ही ऐसी हे तो बेटा भी क्या करे. रातको जब लाइट बंद करके पापा माँ को अपने रूम में चोदते थे, में जेक दरवाजेके बहार से माँ की कहराने की आवाज सुनकर अपना लंड हिलता था. तभी से माँ को चोदने के मन बन गया था.

जभ भी रातको लंड हिलता था, माँ के शरीर के बारेमेंही सोचता था. जैसे जैसे साल गुजरने लगे. मेरी माँ को चोदनेके इच्छा दुगनी हो गयी.

एक दिन में कॉलेज से घर आया. देखा तो घर का दरवाजा अंदर से बंद था. मेने दरवाजा ठोका तो काफी देर बाद माँ ने दरवाजा खोला. अंदर आया तो देखा एक आदमी अंदर बैठा था. मुझे कुछ समाज नहीं आया. में अपने कमरेमे चला गया. माँ और वो दोनों कुछ बाते कर रहे थे. फिर वो चला गया.

वो आदमी जानेके बाद माँ को मेने पूछा के कोण था ये. तो माँ ने कहा के ये मंदिर के पुजारी है. घरमे पूजा करनी है उसके बारेमे पूछताछ करनी थी. इसलिए आये थे.

मेने आगे ज्यादा कुछ पूछा नहीं. कुछ दिन बाद, माँ को मेने दुपहर को कही जातेहुए देखा. में दूर था इसलिए उसने मुझे नहीं देखा. मेने सोचा पीछा करता हु और देखता हु कहा जाती है. चलते चलते वो एक मंदिर के पास पोहची.

मुझे लगा मंदिर में कुछ काम होगा. लेकिन वो मंदिर के अंदर जाने के बजाय पीछे की और चली गयी. वह कुछ घर थे. शायद पंडितजी के रहनेकी जगह थी. में भी पीछे पीछे गया लेकिन कुछ देर बाद में खुद खो गया. वह कोई नहीं था. सरे दरवाजे बंद थे.

उन घरोके पास से गुजरते समय एक घर के अंदर से किसी की बात करनेकी आवाजे आने लगी. में रुक गया और अंदर की बाते सुनाने लगा. तभी मुझे पता चला की ये तो माँ की आवाज है. दरवाजा अंदर से बंद था. कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. में ढूंढने लगा की कैसे अंदर झाका जाये. तभी मेरी नजर ऊपर कोने में लगे एक हवादान पे पड़ी. लेकिन वो बहोत ऊपर थी.

में फिर से बहार की तरफ आया और ऊपर चढ़नेकेलिए कुछ ढूंढने लगा. तभी मुझे एक लकड़ेकी खुर्ची कोने में दिखी. मेने चरण खुर्ची उठा ली और वापस आकर उसी कोठी के बहार धीरेसे रख दी. उसपे चढ़के में अंदर झाका. लेकिन जो अंदर दिखा उसको देखके में चौक गया.

सामने मेने देखा माँ पलंग पे लेटी हुई थी. उसका ब्लाउज़ खुला हुआ था. और एक आदमी माँ के मम्मो को दबा दबा कर चूस रहा था. माँ मुँह से आवाज कर रही थी. अहाःहाहा … अहाहा अहःअहः हहहह अहहहहह

ये वही आदमी था जो कुछ दिनों पहले हमारे घर आया था. उस आदमीने माँ के दोनों मम्मी जोर जोर से दबाके उसकी चूचिया चूस ली. फिर उसने माँ की साड़ी खींचना सुरु किया और माँ को नंगा कर दिया. माँ की चड्डी निकल के उसकी चुत को चाटने लगा. अहहह अह्ह्ह्ह हहहहहहहह ः…. मेरी माँ की चुत चाटते देख मेरा लंड तन गया…. मेरे मुँह से पानी आने लगा. अहह आह्हः.

काफी दे तक उसने माँ की चुत चाटी और फिर माँ के मुँह के पास आके बैठ गया और माँ के मुँह में उसने अपना लंड दे दिया. माँ ने भी बिना कोई झिझक के उसका लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी. दोनों हतोसे लंड को पकड़ के हिलने लगी और मुँह में लेके चाटने लगी. माँ को ऐसे दूसरे का लंड चाटते हुए देखना एक अनोखा अनुभव था.

ऐसे लग रहा था की माँ कई सरे लोगो का लंड चूस चुकी है. बहोत ही प्यार से लंड चूस रही थी और हिला रही थी. काफी देर तक लंड चूसना चला. फिर उस आदमीने माँ को चोदना सुरु किया. वो आदमी माँ के पैर फैलाके ऊपर सो गया और लंड चुत में डालके माँ को जोर जोर से चोदने लगा. अहह अहहहहह..

माँ जोर जोर से आवाज करने लगी. अहह अहह हाहाहाःहाहा हहहहह हाहाहाहा.

काफी देर चोदने के बाद उस आदमी ने आखिर कर अपना पानी गिरा दिया. उसने लंड बहार निकल के माँ की चुत पे पूरा पानी उधेड़ दिया.

में चरण उतर गया वह से. और खुर्ची को बहार रख वहा से निकल आया. में घर आके बैठ गया. कुछ देर बाद माँ भी घर पोह्ची. मेने जानबूझकर माँ को पूछा की कहा थी. तो बोली एक दोस्त मिल गयी थी उसके सात बाते कर रही थी तो टाइम का पता ही नहीं चला.

झूट बोलते हुए अंदर चली गई. रात को पापा घर थे तो मेने कुछ पूछा नहीं. दूसरे दिन मेने दुपहर को माँ को जानबूझकर पूछा आज नहीं जाना माँ मंदिर. मेरी बात सुनकर माँ चौक गई. और बोली. मंदिर दुपहर को कोण जाता है.

उसके चेहरेपे दर दिखने लगा. मेने तुरंत कहा की तो फिर कल तो गयी थी न…. माँ स्तब्ध हो गयी. और कहने लगी. कल कहा गई थी. कल तो यही पे थी में.

मेने माँ को कहा की मेने सब देख लिया है जो भी हुवा कल. में उस कोठी के बहार ही था. जो भी अंदर चल रहा था सब मेने देख लिया.

मेरे बाते सुन माँ के पसीने छूटने लगे. तो अपना मुँह छुपाने लागली. उससे कुछ बोलै नहीं जा रहा था. उसकी वो हलचल देख मेने माँ को कहा. डरने की कोई बात नहीं. में पापा को कुछ नहीं बताऊंगा.

लेकिन एक शर्त है.

माँ ने धीमी आवाज में पूछा कोनसी शर्त. तो मेने कहा, की जो तुमने उस पंडित जो को दिया. वो मुझे भी चाहिए.

ये बात सुनकर माँ की आँखे खुली की खुली रह गयी. वो मेरे तरफ देकने लगी. लेकिन में झुका नहीं. मेने फिर से कहा. हां मुझे भी वो करना है जो पंडित जी ने तुम्हारे साथ किया. अगर तुम मन करोगी तो में पापा को सब बतादूँगा.

माँ सोच में पड़ गई के क्या करू. कैसे इससे छुटकारा पावु. लेकिन अभी उसके पास भी दूसरा कोई उपाय नहीं था. मेने देर न करते हुए, माँ की तरफ बढ़ने लगा. और पास आके धीरेसे माँ के मम्मे दबाना सुरु किया. माँ निचे देख मुँह से आवाज करने लगी.

मेने उसकी सीस सिसाहट… देख दोनों हतोसे उसके मम्मे दबाना सुरु किया. दबाते दबाते मेने माँ को गले से लगा लिया और उसकी गर्दन पे चूमने लगा. अहहह ाहः हहह ाहः अहहहहहह अहहहह ….माँ की गर्दन चूमने लायक थी.

गले से लगा के माँ की पीठ पे हात घुमाने लगा. अहहह आहहह बहोत ही कोमल शरीर था माँ का. देखतेही देखते मेने अपने होठ माँ के होठोंपे रख दिए और उसे चूमने लगा. अहहह है हहहहहह अहहहहहहह.. जैसेही होठोंसे होठ मिले. में पागल हो गया. मेरे पीठ पे रखे दोनों हात माँ की गांड पे खिसक गए और में जोर जोर से माँ की गांड दबाते हुए माँ को चूमने लगा. एक हात आगे की और लिया और माँ के मम्मे दबाने लगा. एक ही साथ जहा जहा हात लगा सखु वह में हात लगा रहा था.

अहहह अहाहाःहाहा हहहहहह. बहोत ही मजा आ रहा था.

धीरे धीरे मेने माँ की साड़ी उतर दी. ब्लाउज़ के बटन खोले और ब्लाउज़ उतर के निचे गिरा दिया. माँ के मम्मे सामने आते ही, चूचियों को ऊँगली में पकड़ के मसलने लगा. माँ आवाज करने लगी . अहहह है अहह हां अहहह अहा हहहहहहह.. धीरे से ..अहहह अहःअहः हहहहहह

माँ के दोनों मम्मे चूस चुसके आनंद लिया. मम्मे काफी हे मुलायम थे. दबानेमे बहोत मजे आ रहे थे.

माँ की पूरी साड़ी निकाल दी. माँ अभी सिर्फ अपने गुलाबी चड्डी पे खड़ी थी. मेने अपना टीशर्ट निकाला. और पैंट भी तुरंत उतार दी और माँ के सामने मेरा लंड निकाल के दे दिया.

माँ ने जराभी देर न लगाते मेरा लंड हात से पकड़ लिया और मेरी तरफ देखकर हिलाने लगी. अहह अहहहहहहहहह अहःअहः.. माँ के हात में मेरा लंड देखना तो कोई सपनेसे काम नहीं था. माँ ने लंड को हिलाते हुए, निचे बैठी और लंड को मुँह में लेके चूसना सुरु किया. अहहह हहहहहहहहहह… माँ ने पूरा लंड मुँह में लिया और चूसने लगी. जीभ को लंड पे घुमाके चाटने लगी.

काफी देर लंड को चुने के बाद मेने माँ को निचे लिटा दिया और उसपे सवार हो गया. उसके पैर फैलाये और चुत में लंड डालके चोदने लगा. अहहह हाहाहाहा हहहहहहहहह.. आखिर कर माँ की चुत में लंड डाल ही दिया. बहोत मजा आ रहा था.

जोर जोर से चोदने लगा. माँ भी चिल्लाने लगी. अहहह हहह हां हहहहह अहहहहहहहहहह.. दोनों भी आनंद लूट रहे थे. कुछ देर माँ को चोदके. फिर उसकी बगल में सो गया. और पीछे से उसका एक पैर उठाकर निचेसे लंड को फिर दाल दिया चुत में. और जोर जोर से पिछेसे चोदने लगा. अह्ह्ह्ह हहहहहह ः हहहह हाहाहाहा हहहहह हहहह

अभी मुझे रोखना संभव नहीं था. में भूल गया की वो मेरी माँ ये. मुझे सिर्फ एक नंगा शरीर दिख रहा था. जिसे मुझे चोदना है.

फिर मेने माँ को घोड़ी बनके पीछे से गांड पे फटके मारे और लंड को घुसेड़ा चुत में. लंड को चुत में फसा के कमर धार ली और फिर से चोदना सुरु किया. माँ की गांड देखते हुए लंड को चुत में धकेल ने लगा. अहहहह हहहहहहहहहहहहह….. अपने सामने माँ को पूरा नंगा होके चोदने में बहोत मजा आ रहा था. अहहह अह्ह्ह हहहहह अहहहहह

बहोत देर चोदा फिर पानी निकलने पे पहले लंड को खींचा बहार और माँ की गांड पे उड़ा दिया. बहोत पानी निकला. फिर दोनों शांत हो गए.

में अपने कपडे उठा के रूम में चला गया. उस दिन बाद से में जभ भी घर में मौका मिलता है. माँ को झुकाके उसे चोदना सुर करता हु. बहोत मजा आता है.

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