परिवार के साथ गए यात्रा में माँ को चोदा

कैसेहो दोस्तों. मेरा नाम मनोज है. में उत्तरप्रदेश का रहनेवाला हु. अभी में १३वी कक्षा में पड़ता हु. कुछी दिन पहले मेरे माँ और मेरे पिता ने गंगा के दर्शन करनी की योजना बनायीं थी. पिताजीने कई लोगो से बात की तब उन्हें पता चला की इस वक्त गंगा किनारे काफी बड़ा मेला लगता है. लोग दूर दूर से गंगा किनारे आते है.

तो इसबार हमने भी सोचा की हम भी एकबार गंगा के दर्शन करके आते है. पापा ने ट्रैन की टिकेट लेली और हम चल पड़े. ट्रैन का सफर काफी अच्छा गुजरा. माँ भी बहोत कुश थी क्यूंकि बहोत दिनबाद हम सब साथ बहार घूमने जा रहे थे. १ दिन का सफर था, हम पहोच गए गंगा जीके पास. पापा ने एक सस्ते लॉज में कमरा लिया था. हमने पहले कमरेमे जाके कपडे बदले और फिर गंगा में नहाने चले गए.

गंगा नदी मेरे विचारोसे भी परी थी. मेने इतनी बड़ी नदी कभी देखि नहीं थी पहले. में बहोत कुछ था. हम गंगा के पानी में उतरे और नाहने लगे. आस पास और भी लोग नाहा रहे थे. मेने एक दो डुबकी पानी में लगायी. तभी मेरी नजर पास में नाहरहि औरतो में पड़ी. उनोने साडिया पहनी थी. पानी में डुबकी लगते हुए उनका पल्लू पिसल रहा था. तभी मेने उनकी चूचिया दिखने लगी. बड़े बड़े दूध से भरे हुए उनकी टंकिया ऊपर निचे उछल रही थी. कुछ औरतो ने मेरे तरफ देखा तो मेने अपनी नजर दूसरी और करदी. अब में दूसरी तरफ देख रहा था. तभी पानीसे डुबकी लगाके माँ बहार आई.

उसका भी पल्लू फिसल गया था. जबतक की वो उसे ठीक करती, मेरी नजर उसके मम्मे पे जा चुकी थी. मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया. पानी के निचे लंड पेन्ट के अंदर तन गया था. में माँ को देख रहा था. उसने अपने मुँह पे हात घुमाते अपने स्तन पे प्यारसे रगड़ा. उसके ठोस निप्पल सीधे मेरे आँखों में बस गए. माँ के वो बड़े बड़े मम्मे देखने के बाद मेरी नजर पूरी तर माँ पे ही टिकी थी. नजर चुराके में माँ को उपरसे निचे देख रहा था. जानबूझकर उसके नजदीक नाहरहाथा ताकि ठीक से माँ को निहार सखु.

पापा कुछ दूर ही नाहरहे थे पर उनकी नजर दूसरी औरतो पर थी. काफी देर नहानेके बाद हम वापस होटल के कमरेमे आ गए. कुछी देर में शाम हो गयी. हम पास में एक बड़ा मंदिर था. वहा जानेकेलिए निकले. वहा पोहचे तो पताचला की बहोत भीड़ है. रास्तेपे चालाभी नहीं जा रहा था.

भीड़ में पापा आगे चलने लगे. माँ को मेने मेरे आगे ले लिया. और में पिछे था. दोनोंतरफसे लोग धक्का मार रहे थे. धीरेधीरे हम आगे बढ़ने लगे. मेने अपने दोनों हात माँ के कंधेपे रख दिए और आगे चलने लगे. जैसेही हम मंदिर के पास की गल्ली में पहुंचे. वहा छोटा रास्ता होने के वजेसे भीड़ बहोत ज्यादा हो गयी.

मेरा पूर्ण शरीर माँ के पीछे चिपका हुआ था. अब चलनेकी गति और धीमी हो गयी. आगे लोग बढ़ नहीं रहे थे. तभी पीछे से होनेवाले धक्कोसे मेरा लंड दो तीन बार माँ की गांड पे पटका. माँ ने नारंगी रंग की साड़ी पहनी थी. जब मेरा लंड कुछ देर माँ की गांड पे पटका मुझे महसूस हुआ माँ की बड़ी गांड काफी मुलायम है.

मेने अपना लंड माँ की गांड पे दबाके रखा. जैसे भीड़ से धक्का लगरहा था, में मौका देखके कमर आगेपीछे हिलाते हुए जानबूझकर अपना लंड माँ की गांड पे पटक रहा था. कुछ ही देर में मेरा लंड तन गया. मेने अपना तनाहुवा लंड माँ की गांड पे दबाके रखा. अहहह हहहह हहहहहह….अहहहहह.. भीड़ में बहोत मजा आ रहा था.

चलते चलते में लंड को पीछेसे माँ की गांड पे घिसने लगा. तभी आगे चल रहे पापाने ने कहा भीड़ बढ़ गयी हे एकदुसरेको पकड़ के चलो. मेने तुरंत अपने हात जो माँ के कंधेपे रखे थे वो निचे ले लिए और दोनों हातोंसे माँ की कमर पकड़ ली.

मेने देखा माँ से कोई रोक टोक हो नहीं रही है. मतलब उसे भी मजा आ रहा है. मेने उसका मजा दुगना करनेकेलिए माँ को कमर से पकड़ लिया और पीछेसे पूरा शरीर माँ को लगाके चल रहा था. निचे लंड आगे पीछे करके पटक रहा था. माँ ने देखा की में बहोत उत्तेजित हो चूका हु.

तो उसने मेरे दोनों हात आगे ले लिए और मुझे ठीक से पकडनेके लिए कहा. जैसे माँ से प्रोत्साहन मिलने लगा. मेने माँ को धर लिया और बिना कुछ सोचे उस भीड़ में माँ की गांड पे जोर जोर से अपना लंड पटक रहा था.

एक हात से माँ की गांड दबाई. माँ भी बहोत उत्तेजित हो गयी. में भीड़ में माँ की गांड दबाने लगा. फिर धीरेसे दूसरे आगे रखे हात को माँ की चुत पे ले गया और चुत को मसलने लगा. साड़ी के उपरसेही माँ की चुत मसल रहा था.

अहाहाः अहहह अहहहहह अहहहहह. ओफ़्फ़्फ़्फ़ फ आहह…चाहता तो था की माँ के मम्मे भी दबाउ पर पास में खड़े लोग देख लेने का डर था. तो गांड और चुत को भीड़ में दबाते हुए हम आगे बढ़ने लगे. लंड को पटक पटक के मेने लोहे जैसा तनदिया था.

कुछ देर बाद हम मंदिर के अंदर आये. हमने दर्शन किये और फिर बहार ही खाना खाके कमरेमे सोने आ गए. एक ही कमरा था तो तीनो जमीन पे गद्दे बिछाके सोने वाले थे. पापा और माँ दोने थोड़ी दूर कोने में सोये थे. में एक कोने में लेटा था. मुझे आज नींद नहीं आ रही थी. करीब १ बजे तक में जगा हुआ था.

अचानक से मुझे हलचल सुनाई दे. आवाज पापा और माँ की तरफ से आ रही थी. कमरेमे घना अँधेरा था इसलिए खुश दिखाई नहीं दे रहा था. … फिर थोड़ी देर बाद माँ की करहानेकी आवाजे आने लगी.

माँ का आवाज सुनके मेरा लंड फिर से तनने लगा. मुझे पता चल गया की पापा माँ को चोद रहे है. सोच सोच के में अपने लंड को हिलाने लगा. माँ की कहराने की आवाज कानो में गूंजने लगी. मेने अपनी पैंट निचे खींची, लंड बहार निकला और जोर जोर से हिलने लगा. आह्ह्ह्ह  हहहह हहहह अहहह

पापा ने जब लंड चुत में डालके माँ को चोदना सुरु किया, मुझे पच…पच…. पच…पच आवाजे आने लगी. में बहोत जोश में आ गया और लंड को हिलनेकी गति बधाई.

अहह अहह हां अहह  हहहहह हहहह अहःअहः ….मन कर रहा था की में भी जाऊ और चोदू माँ को. कुछ देर तक पापा ने माँ को चोदा और फिर उनोने पानी छोड दिया.

मेरे भी लंड से बहोत जोर से पानी निकला. मेने वो पास की दिवार पे उड़ा दिया. उस दिन बहोत अछि नीद मिली.

दूसरे दिन सुभह हम बहार एक दुकान में सुबह नास्ता करने बैठे थे. तभी पापा के ऑफिस से फोन आया. ऑफिस के मैनेजर ने पापा को तुरंत आनेकेलिए कहा. फैक्ट्री में कुछ काम आ गया था. पापा ने कहा मुझे जाना पड़ेगा. हमने होटल के ३ दिन के पैसे दिए थे. तो पापा ने कहा में और माँ रुक जाओ दो और दिन. और वो आज की दोपहर की ट्रैन से चले जायेंगे.

ये सुनकेहि माँ और मेने एक नजर, एक दूसरे को देखा. माँ शर्मा रही थी. हमें दोनों को पता था की पापा का जाना मतलब हमें क्या मिलने वाला है. पापा कुछ बोले जा रहे थे. पर हम दोनोको अब उससे कुछ मतलब नहीं था. हमारी उत्तेजना फिर से बढ़ने लगी.

जैसे तय हुवा था पापा दुपहर की गाड़ी से निकल गए. अभी में और माँ सिर्फ ठहरे थे. में तो पहलेहेसेही तैयार था. पर बहोत डर भी लग रहा था. की कैसे आगे बड़े. इसलिए हमने सोचा की पासमे एक बाजार लगता है. वहा जाके कुछ खरीद लेते है.

माँ और में निकल पड़े. बाजार में भी थोड़ी भीड़ थी. मेने भीड़ का फायदा उठातेहुए माँ को हात लगाना सुरु किया. कंधेसे सुरवात की और कमर तक पहोच गया. माँ के कोमल शरीर का पूरा अनुभव ले रहा था. माँ साड़ी में बहोत खूबसूरत लग रही थी.

हमने कुछ सामान ले लिया. और फिर बाहरसेही खाना खाके कमरेमे आ गए. सोनेकी तैयारी कर ली. घडी देखि तो रातके ग्यारा बज गए थे. कमरेकी लाइट बंद कर दी. माँ मेरे से कुछ ही अंतर पे मेरी तरफ पीठ करके सोइ थी. हमें दोनों को डर लग रहा था. क्यूंकि दोनों माँ बेटे है और तुरंत ऐसे एक दूसरेपे चढ़ना ठीक नहीं होगा.

काफी देर तक मेने अपनेआपको संभाला पर यहाँ पे मेरे लंड की हालत ख़राब हो चुकी थी. वो पूरा तन गया था. उसमे ये कमरेकी शांति और अंदर से शरीर की गर्मी बढ़ा रही थी. करीब १२ बजे, मेने सोचा अभी मुजसे और रहा नहीं जायेगा. में धीरेसे माँ के पास आया. और माँ को पीछेसे जकड लिया. माँ भी थोडीसी डर गई पर कुछ बोली नहीं.

माँ को मेने पकड़ा हुआ था. मेने आगे हात लेके माँ के स्तन को दबाना सुरु किया. अहहह अहहहहह…. माँ के स्तन काफी कोमल लग रहे थे. मेने जैसेही दबाना सुरु किया, मेरा लंड नाचने लगा. उसको रोकने के लिए मेने लंड को माँ की गांड पे दबा दिया.

जोर जोर से माँ के स्तन को दबा दबा के उसे गरम करने लगा. अहह अहह अहहहहह हाहाहा…. कुछ ही देर में माँ पूरी तरह तप गयी. वो मेरी तरफ घूमी और हमने अपने होठ एक दूसरे के होठो पे रखके चूमना सुरु किया. मेने माँ को जकड के उसके होठो का रस पिने लगा. औ मुमुम्मु उमूम मुमुमुएह अहहह हहहह अहहह……. दोनों भी एक दूसरेको प्यार करने लगे…. मेने एक हात माँ के मम्मे पे रखके उन्हे दबाना सुरु किया. जोर जोर से दबा रहा था. दोनों स्तन को काफी देर मेने दबाया.

फिर माँ की साड़ी खोलना सुरु किया. देखते ही देखते माँ की साड़ी को निकाल के फेक दिया. माँ का ब्लाउज़ उतार दिया और निप्पल बहार आते ही सीधा मुँह में लेके चूसने लगा. निप्पल चुस्तेहुए में माँ पे चढ़ गया. दोनों हातोंसे उसके स्तन दबाकर निप्पल चूसने लगा. अहहह हहहहहा…बहोत मजा आ रहा था.

निप्पल चूसते हुए मेने अपनी टीशर्ट उतार दी. में पागलोंकी तरह कभी स्तन को चाट रहा था तो कभी माँ के गर्दन पे जीभ गुमा रहा था. उसके होठो का रस पि रहा था. में तो पागल ही हो गया था माँ के बड़े बड़े स्तन देखके. फिर मेने अपनी पैंट निकली और माँ के मोह के पास बैठ के उसके मोह में अपना लंड दे दिया. माँ ने भी तुरंत मुँह खोलके लंड अंदर ले लिया और चूसने लगी.

अहहह हहहहहहह…. माँ के मुँह में लंड जाते हुए देखके बहोत मजा आ रहा था. मेने प्यार से उसके सर के पीछे हात रखके धीरे धीरे उसके मुँह को चोदना सुरु किया. अहह अह्हह्हह अहा हाहाहाःहाहा…. बहोत मजा आ रहा था.

फिर मुँह से लंड निकाल के में उसके पैरोंके पास आया और उसके पैर फैलाके उसकी चुत चाटने लगा. अहम ममम मममममममम अम्माम्मा …. बहोत मजा आ रहा था माँ की चुत चाटते समय. चुत से पानी निकाल रहा था. मेने जीभ से पानी को चाटना सुरु किया. जीभ अंदर डाकले चूसना सुरु किया.अहंमा अमम अम्म अमममम अम्माम मम अमममम. माँ जोर जोर से आवाज कर रही थी. मेने एक ऊँगली उसके चुत में डाली अणि जोर जोर से रगड़ने लगा.

काफी देर बाद फिर में उठकर पीछे गया. माँ को उल्टा लेटकर उसकी गांड देखने लगा. अहहह अहहहहह…. क्या गांड थी माँ की. दोनों हातोंसे गांड दबाने लगा. आहहह….. मुँह गांड पे रखकर चाटने लगा. मुँह माँ की गांड पे घिसने लगा..गांड को चूमा.

फिर माँ को घोड़ी बनाके पीछे से माँ की चुत में लंड घुसेड़ा और कमर पकड़ कर उसे जोर जोर से चोदने लगा. अहह अहा अहा हां आह्हः हहहहहहहाल….

बहोत मजा आ रहा है …अह्ह्ह्ह हहह अहहह हाहाहाहा…..

लंड बहोत तन गया था. में जोर जोर से माँ को चोदने लगा…. माँ चिल्ला रही थी.. अहह हां अहह हाहाहा…फिर कुछ देर बाद पानी निकलने वाला था, तो लंड खींचा बहार और पानी दाल दिया माँ की गांड पर. पूरी गांड सफ़ेद पानी से भर गयी.

फिर में ऐसी ही माँ के पास सो गया. दोनों बहोत थक गए थे. दूरसे दिन उठा तो मन बहोत प्रसन हो उठा था. माँ को चोदनेका सपना आखिरकार पूरा हो ही गया. आखरी दिन जो बचा था उस दिन भी मेने माँ को चोदा.

घर वापस आने के बाद. जब भी पापा काम के सिलसिले में बाहार होते है. माँ को में चोद देता हु.

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