दूर के चाचा ने मेरी चुत मारी

मेरा नाम गीता है. में अभी ११ वि में हु. कुछ ही दिन पहले मेरा रिजल्ट आया और में पास हो गयी. अभी में कॉलेज जाने लगी हु.  में अपने माँ और पापा के साथ दिल्ली में रहती हु. कुछ दिनों पहले की बात है. में कॉलेज से घर आयी. घर आकर देखा तो दूर के चाचा घर आये थे.

शाम के ४ बजे थे. चाय पि रहे थे. चाचा को मेने बचपन में देखा था जब गांव गए थे. चाचा ने मुझे देखकर कहा। … गीता तो बहोत बड़ी हो गयी है. कहते हुए चाचा मुझे ऊपर से निचे तक देख रहे थे. मेने तब जींस और टीशर्ट पहनी थी.

माँ अंदर से आई और उन दोनों की बाते चलने लगी. मि धीरेसे वहासे निकली और अपने कमरे में आकर लेट गयी. चाचा का देखने का नजरिया मुझे ठीक नहीं लगा.

उसी दिन शाम को मुझे पता चला की चाचा और २ से ३ दिन यहाँ रुकने वाले है. दूसरा दिन था उनका घर में. में अपने कॉलेज के लिए तैयार हो रही थी. मेरी आदत थी के में हॉल में आकर अपने बाल बनाया करती थी. यहाँ वह घूमते हुए मेरा काम चलता रहता था.

में अपने ही ख्यालोमे थी, तभी वही हॉल में चाचा भी बैठइ थे. वो टीवी पे समाचार देख रहे थे. मेने ज्यादा ध्यान नहीं दिया. और अपना काम करते रही. जब में सामने के आयने में अपने बाल सवार रही थी, तभी मेने देखा की पीछे पीछे बैठे हुए चाचा मेरे पिछवाड़े देख रहे थे. मेने तब नील रंग की जीन्स ही पहनी थी. और ऊपर एक टीशर्ट पहना था.

चाचा इतने बत्तमीज थे के टकटकी लगाकर मेरे पिछवाड़े दे रहे थे. हद तो तब हुयी जब उन्होंने अपने होठ चबाना सुरु किया. मुझे देखते हुए चाचा अपनी जबान होटो पर रगड़ने लगे.

माँ अंदर खाना बना रही थी. चाचा को देख मुझे पता चल गया था की ये आदमी ठरकी है. बाल बनाते समय पूरा वक्त मेरा ध्यान उनकी तरफ ही था.

कुछ देर बाद मेने सोचा क्यों ना इस ठरकी को और तड़पाया जाये.

तो में आयने के निचे की अलमारी से कपडे निकालने के बहानेसे झुकी और जानबूझकर मेरा पिछवाड़ा चाचा की और किया. में झुककर निचे की अलमारी में कपडे ढूंढने लगी.

पिछवाड़ा हिलाकर चाचा को उत्तेजित कर रही थी. कुछ देर बाद जब में फिर से कड़ी हुयी और आयनेमे देखकर बाल बना रही थी. तब देखा की चाचा तो अब अपना लंड ऊपर से मसलने लगे हे. वो मेरा पिछवाड़ा देखते हुए अपना लंड मसल रहे थे.

में समाज घरी चाचा की ठरक बढ़ रही है. मेने अपना काम ख़तम किया और वह से कॉलेज में निकल गयी.

उसी दिन जब शाम को घर आयी तो पापा मम्मी और चाचा कही बहार निकल रहे थे. पापा ने कहा हम चाचा को दिल्ली घूमने ले जा रहे है. तुम भी साथ चलो.

चाचा भी उत्सुकतासे कहने लगे. है गीता बेटा तुम भी चलो हमारे साथ. बहोत मजा आएगा.

चाचा की हरकतों से तो में वाकिफ थी.

में तैयार हो गयी. और हम सब बस से निकल पड़े घूमने। आज छुट्टी का दिन था तो बस में बहोत भीड़ थी.

बस में बैठणो को जगा नहीं मिली तो खड़े ही रहना पड़ा. कुछ देर बाद पापा मम्मी किसी तरफ भीड़ से आगे जाकर सीट लपकली. में और चाचा सिर्फ पीछे भीड़ में खड़े रह गए.

चाचा मेरे पीछे ही खड़े थे. में अपना मोबाइल देख रही थी. तभी मुझे लगा मेरी गांड में कुछ तो चूब रहा है. मेने पीछे देखा तो चाचा ही खड़े थे. कुछ देर बाद फिर से गांड पे कुछ लकड़ी जैसा चुबने लगा.

पहले तो मेने ध्यान नहीं दिया. लेकिन फिर मुझे समज आया की ये लकड़ी नहीं चाचा का खड़ा लंड है जो मेरी गांड पे वो दबा रहे है. बस के हिलने के साथ उनकी कमर हिल रही थी और लंड को मेरी गांड में दबा दबा कर मजे ले रहे थे. फिर जैसे और भी बढ़ी. पीछे से लोग धक्का देने लगे. तभी चाचा ने मौका देख अपना हार मेरी कमर पर रख दिया.

अचानक से पिछेसे एक जोर का धक्का आया तभी चाचा ने झटकेसे अपना हाट आगे की और लिया और मेरे मम्मो को दबा लिया. में चौक गयी. चाचा भी का फायदा उठाकर खुलेआम मेरे मम्मो को दबा रहे थे.

मेरा सैयोग देख चाचा और भी खुल गए. चाचा ने मुझे पिछेसे कसकर पकड़ा. जैसे जैसे बस आगे जा रही थी. बिच बिच में बस का ड्राइवर ब्रेक मार रहा था. तब चाचा कसकर मेरी कमर पकड़कर जोर से अपना तना हुआ लंड गांड पे मार रहे थे.

जब तक हम इंडिया गेट तक नहीं पोहचे, चाचा ने खूब मजा लिया. जब तक हम बाहर घूम रहे थे. चाचा की नजर मेरे ऊपर ही थी. वो मम्मी पापा की नजर चुराकर मुजसे आँखे मिला रहे थे. मुस्कुराकर मुजको मन ही मन अपना इरादा बतानेकी कोशिश कर रहे थे.

देर रात घर आने के बाद जल्दी से सो गए. चाचा बहोत कोशिश कर रहे थे की मेरे करीब ए.

अब आया तीसरा दिन. सुभह पापा अपने ऑफिस निकल गए. मम्मी खाना बना रही थी. तभी में नहाकर अपने कमरे से बाहर आयी. मेरे बाल गीले थे. में बाल सुखाते हुए बाहर आयी. चाचा वही पे थे. मुझे आज सुट्टी थी तो में घर पर ही रहने वाली थी.

चाचा बाहर कही चले गए थे. कुछ देर वो भी आये. घर आकर चाचा मम्मी को कुछ बताने लगे. में अपने कमरे में थी इसलिए ठीक से सुनाई नहीं दे रहा था. कुछ देर बाद मम्मी मेरे कमरे में आयी. और बोली. मामाजी की तबियत ठीक नहीं है. तो में और पापा दोनों उनको देखकर आते हे. तुम घरपर सब संभाल लोगी ना.

मेरे मुँह से कुछ निकले उस के पहले पिछेसे चाचा बोले. तुम चिंता मत करो. में और गीता सब संभल लेंगे. चाचा मुस्कुराते हुए मुझे देखने लगे. उनके चेहरेपर ख़ुशी स्पस्ट दिख रही थी. चाचा कहकर हॉल में वापस चले गए.

मम्मी मेरे करीब आयी और कहने लगी. पापा सीधा काम ख़तम करके मामा के घर पहोचेंगे. हमें आनेमें देर हो जाएँगी. तुम चाचा को खाना परोस देना. उनका पूरा ख्याल रखना। वो हमारे मेहमान है. उनको कोई भी तकलीफ नहीं होनी चाहिए उसका ध्यान रखना.

कुछ देर बाद मम्मी निकल गयी. मेने अंदर से दरवाजा बंद किया. अब चाचा और में ही घर में थे. चाचा टीवी देख रहे थे.

में अपने कमरे में आयी. थोड़ा सा डर भी लगने लगा था. मेने सोचा काम कर लेती हु. मेरे पलंग की चद्दर ठीक करने लगी. में चद्दर को बिछा रही थी, तभी अचानक से मुझे किसीने पिछेसे पकड़ा. पीछे देखा तो चाचा थे. में चिल्लाई, चाचा. ये आप क्या कर रहे हो.

चाचा बोले, कुछ नहीं बेटा तुम काम करके थक गयी होगी ना. तुम्हे में आज परम आनंद कैसे मिलता हे ये सिखाता हु. में चाचा को कहने लगी. चाचा प्लीज़। .. मुझे छोड़ो. चाचा ने मुझे कसकर पकड़ा और मेरे दोनों मम्मो को दबाने लगे.

अह्ह्ह्ह. चाचा.. अहहहहह. अहहहआ. चाचा… आआह्ह

बेटा इससे तुम्हारी बॉडी को आराम मिलेगा. कुछ देर रुको तुम्हे पता चल जायेगा.

में अपने आपको छुड़वाने की पूरी कोशिश कर रही थी. लेकिन चाचा ने मुझे कसकर जकड लिया था. चाचा अपने दोनों हातोंसे मेरे मम्मो को जोर जोर से दबा रहे थे. अहहह हाःहाहा. अहाः अह्ह्ह . ससससस आहहह

फिर अचानक से चाचा ने मुझे सीधा अपनी तरफ किया और मुझे जबरदस्ती होठोंपे चुम लिया. कसकर मुझे पकड़कर चूमने लगे. में चाचा को दूर करने लगी. लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ. चाचा के होठ मेरे होठोंपर घिस रहे थे. एक हात मेरी कमर पे और दूसरा हात मेरे मम्मो पर थे.

चाचा बड़ी जोश में मुझे चूमने लगे. में छटपटा रही थी. कुछ देर चूमने के बाद मुझे पता नहीं क्या हुआ. वो सब अच्छा लगने लगा. मेरी छटपटाहट काम होने लगी. मेभी चाचा को चूमने लगी. एक आदमी के शरीर का होने वाला स्पर्श मुझे अच्छा लगने लगा. चाचा ने मुझे चूमते हुए गले से लगा लिया. दोनों बड़े प्यार से एक दूसरे को चूमने लगे. चाचा का हात मेरी पीठ पर घूमते हुए निचे की और सारखा. और चाचा ने मेरी गांड को दोनों हातोंसे दबा दिया.

कसकर गांड को दबाते हुए हुए मुझे गले से लगा रखा था. होठोंसे होकर गालो को चूमने लगे. मेरी गर्दन पर चूमते हुए निचे जाने लगे. मेरे बाये कधोंपर से कमीज़ को खिसकाया और चूमने लगे.

देखते ही देखते चाचा ने मेरी कमीज़ उतर दी. मेरे ब्रा को दबा दबा कर आनद लेने लगे. मुझे देखते हुए चाचा ने अपना कुरता निकाल दिया. मेने भी अपना ब्रा खोल दिया। जैसे ही मेरे मम्मो से ब्रा हटा चाचा की नजरे सीधे मेरी चूचियों पर गयी. बिना देर किये चाचा ने दोनों चूचियों को चूसना सुरु किया. आहहहहहह. दोनों हातोंसे मम्मो को दबा दबाकर. चूचियों को मुँह में रगड़ना सुरु किया. अहहहहहह.. अहहहहह.. अहहहह.

मर्द अपने हतोसे जब मम्मो को दबाते हुए चूचियों को चूसता है तब बड़ा मजा आता है. चाचा बड़े प्यार से दोनों ममो पे चुम रहे थे और चूचियों को मसल रहे थे.
अहहहहह शशशश. ष्ष्हशश आहहहह.

काफी देर चूचियों को मसलने के बाद, उन्होंने अपना पजामा खोला. अंदर जो अंडरवेर पहने थी. उसपर बहोत ही बड़ा तम्बू बन गया था. चाचा का लंड काफी बड़ा है मालूम पद रहा था.

चाचा ने मुझे कहा बेटा निचे बैठो और खोलकर देखो क्या हे अंदर. में निचे घुटनो पे बैठी और चाचा की अंडरवेर दोनो हातोंसे पकड़कर निचे खींची. जैसे अंडरवेर निचे उतरी. अंदर से चाचा का बड़ा मोटा लंड उछल कर बाहर आया.

चाचा का लंड काफी लम्बा था. मेरे पुराने बॉयफ्रेंड के लंड से दुगना बड़ा था. लंड को देखकर मेरी तो आँखे चौक गयी. मेने धीरेसे लंड को मुठे में पकड़ा. और प्यार से चाचा के लंड को आगे पीछे हिलाने लगी.

चाचा मुँह से आवाज करने लगे. अहहह. आअह्ह्ह. बेटा। ….. आहहह. मजा आ रहा है. अहहहहह. ऐसे ही करो..

चाचा की ख़ुशी देख मेने लंड को जोर से हिलना सुरु किया. देखते ही देखते चाचा का लंड लोहे की तरह तन गया.

चाचा ने मेरी तरफ देखा और कहा बीटा अब उसे मुँह में लेकर देखो।

मेने लंड की तरफ देखा और धीरेसे लंड को मुँह में ले दिया. जबान लंड पर घिसते हुए चाटने लगी. उम्म्म्म यंमम अहहह अहहह अम्मम्म

बड़े दिनों को बाद आज इतना बड़ा लंड चूसने मिला है. उम्म्म औंम आहहह

प्यार से लंड को पकड़कर हिलाते हुए पूरा लंड मुँह में ली लिया और चूसने लगी. उम्म्म्म. चाचा की आवाज कमरे में गूंज रही थी. आअह्ह्ह आहहहह उम्मम्मम अहहहह

काफी देर लंड को चूसने के बाद जब लंड को मुँह से निकला. चाचा ने मुझे खड़ा किया। पास के पलंग पर लिटाया. मेरे सलवा खींचकर उतर दी. अंदर की चड्डी चाचा ने एक नजर देखि और वो भी उतर दी. चाचा बहोत ही हवस भरी नजरो से मेरी चुत को देखने लगे. बिना देर किये उन्होंने मेरे पैर फैलाये और चुत को चाटने लगे. कुत्ते की तरफ अपनी जीभ को मुँह में डालकर घिसने लगे. आहहहहहआ उफ्फ्फ्फ़ आअह्हह्ह. बड़ा मजा आ रहा था. चुत की गर्मी बढ़ गयी थी.

चाचा की बड़ी जबान चुत के अंदर तक जा रही थी. चाचा ने पूरी चुत को चाट चाट के गिला कर दिया. में पलंग पर हात पटकते हुए तिलमिला रही थी. अहहह अहहह उम्मम्मम आअह्ह्ह

चाचा ने अछि तरह से चुत को चाट लिया. फिर उन्होंने मेरी दोनो जांग पकड़ी और पैर फैलाकर अपना लंड खड़े खड़े ही मेरी चुत में घुसेड़ दिया. में चिल्लाई. अहहहह. चाचा.. ये क्या कर रहे हो. चाचा रुके नहीं. उन्होंने लंड को चुत में पूरा दबाकर मुझे चोदना सुरु किया.

अहहह ाहाहाःहाहा.. अहहहह. इतना बड़ा लंड’ चुत में लेकर बड़ा अच्छा लग रहा था. चाचा ने जोर जोर से धक्के देकर मुझे चोदना सुरु किया. अहहहह. अहह। .

मेरा पूरा बदन हिल रहा था. दोनों मम्मे ऊपर निचे हो रहे थे. मदहोश आवाज करते हुए में चोदने का आनंद ले रही थी. उफ्फ्फ आहा अहाहा स्स्स्सह्ह्ह

चुत को अछि तरफ चोदने के बाद, चाचा ने लंड को बाहर लिया. फिर मुझे उल्टा लिटा के पलंग के कोने पे झुककर खड़ा कर दिया. दोनों पैर निचे जमीं पर, हात पलंग पर रख मि झुककर खड़ी थी. चाचा ने अपने दोनों हातोंसे से मेरी कोमल गांड को दबाया. दोनों हतोसे गांड को दबाते हुए गांड पे चूमने लगे. गांड को फैलाकर अंदर जबान से चाटने लगे. अपना मुँह मेरी गांड पे घिस रहे थे. फिर चाचा ने मेरी गांड पे चपेट मारी. में चिल्लाई आहहहह.

अपना लंड धीरेसे मेरी चुत में डालकर मेरी कमर दोनो हातोंसे से पकड़ी और मुझे चोदना सुरु किया. आहहह अह्ह्ह्ह. चाचा बड़ी बेहरमी से चोदने लगे. मेरी चुत में अंदर तक लंड जा रहा था. चाचा की जांग जोर जोर से मेरी गांड पर पटक रही थी. ऐसे लग रहा था मानो कोई गांड पे चपेट मार रहा है. अहहहह अहहह अहहहह. अहहह चाचा के लंड का वार इतना जोरदार था की में कुछ ही पल में झड़ गयी.

चाचा अभी भी लगे हुए थे. जोर जोर से मुझे चोदे जा रहे थे. आहहहह अहःअहः. दोनों को आवाज कमरे में गूंज रही थी. चाचा थमने का नाम ही नहीं रे रहे थे. ऐसे काफी सालो से भरे बैठे है.

कुछ देर बाद चाचा ने लंड जोर से बाहर खींचा और मेरी गांड पे पानी की बौछार कर दी. मुझे गांड पे गरम पानी की बौछारे महसूस हो रही थी. में ऐसी ही झुककर खड़ी रही जब तक चाचा पूरी तरह खाली नहीं हो जाते।

चाचा ने पूरा पानी निकल दिया. फिर वो अपने कपडे पहन कर चले गए. मेने भी अपने कपडे पहन लिए.

चाचा के सात चुदवाने में बहोत मजा आया. गांव में रहने वाले लोगो का स्टैमिना बहोत होता है सुना था. आज देख भी लिया.

दूसरे दिन चाचा फिर से अपने गांव चले गए. हम दोनों ने इस बारे में कभी किसी को नहीं बताया.

कैसी लगी मेरी कहानी जरूर कमेंट में बताना

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