कुछ दिनों पहले की बात है. मेरे हॉस्टल के फ्रेंड मनीष से मेरी फोन पे बात चल रही थी. मनीष इंजीनियर बन गया था. मेने इंजीनियरिंग के बाद मॉडलिंग सुरु की. अभी भी काम ज्यादा मिल नहीं रहा था. लेकिन कोशिश जारी थी.
मनीष से बात करते समय मुझे पता चला की उसकी शादी हो गयी है और अभी वो इसी शहर में है. मेने मनीष को कहा फिर मिलते है कल. तो उसने कहा की कल वो इस शहर के सबसे बड़े मंदिर जा रहे है. मनीष अपनी बीवी के साथ जाने वाला था.
मेने मनीष को कहा की तो में भी आ जाता हु. इस बहाने मिलाना भी हो जायेगा और मंदिर में देवी के दर्शन भी हो जायेंगे.
मनीष मान गया. दूसरे दिन सुभह में मंदिर के बाहर पोहच गया. काफी भीड़ थी मंदिर में. शायद छुट्टी का दिन है इसलिए बहोत लोग मंदिर आये थे. में मनीष की राह देख रहा था. तभी किसी ने पिछेसे मेरा नाम पुकारा.
परम… पीछे पीछे।।। यहाँ परम.
में पीछे देखने लगा. भीड़ में पता नहीं चल रहा था के कोण बुला रहा है. तभी मेने मनीष को आते हुए देखा.
मनीष से मुलाकात हुई. मनीष लड़के से आदमी बन गया था. उसके पीछे एक सूंदर सी लड़की साडी में खड़ी थी.
मनीष ने बताया ये मेरी पत्नी है. जैसे ही मेने मनीष के पत्नी से हात मिलाया मेरे दिल में घंटी बजने लगी. बहोत खूबसूरत थी उसकी पत्नी. उसका नाम शीतल था.
लाल साड़ी में मॉडल दिख रही थी. हम दोनों की आँखे मिली. उसके पत्नी को मेरी नजर से पता चल ही गया होगा की में आकर्षित हो गया हु.
मनीष को वो जरा भी सूट नहीं कर रही थी. क्यूंकि मनीष की उचाई भी शीतल से छोटी थी. देखकर ही लग रहा था की शीतल ने मनीष के बाप के पैसे देखकर शादी की है.
हमारी बातचीत हुई और हम मंदिर की और बढ़ने लगे.
भीड़ बढ़ने लगी. मनीष आगे चल रहा था. उसकी पत्नी पीछे और में पत्नी के पीछे.
जैसे जैसे हम अंदर की और बढ़ने लगे हमारे शरीर एक दूसरे को चिपकने लगे. कुछ ही देर बाद भीड़ में हम फस गए. मेरा शरीर मनीष के पत्नी के पीठ पर रगड़ने लगा. आह्ह्ह्ह. बहोत ही कोमल शरीर था मनीष के पत्नी का.
जैसे ही मेरा लंड शीतल की गांड पे घिसने लगा. मुझे इहसास हुआ की शीतल की गांड बहोत ही कोमल है. भीड़ में आगे जाते हुए में शीतल की गांड पे अपना लंड दबाये हुए चल रहा था.
कुछ ही देर बाद भीड़ धक्का देने लगी. धक्के में एक दूसरे को सँभालते हुए आगे बढ़ने लगे. मेने शीतल के बाजुओं को पकड़ा और उसे आस पास के धक्को से बचाने लगा.
मनीष वैसे भी आगे चल रहा था तो उसको पीछे क्या हो रहा है कुछ पता नहीं था. मेने शीतल के कंधो पे हात रखे. फिर धीरेसे अपने हात शीतल की कमर पे ले गया. कुछ देर दोनों हातोंसे शीतल के कमर को पकड़ कर देख रहा था शीतल कैसे बर्ताव कर रही हे. शीतल ने कुछ नहीं कहा. नहीं मेरा हात दूर किया
फिर जैसे हम मंदिर के छप्परे के अंदर पोहचे. अंदर का रास्ता और सकरा हो गया. भीड़ को जाने के लिए रास्ता नहीं था. मेने मौका देखा और शीतक की कमर पर हात ले गया, उसे कसकर पकड़ लिया. दोनों हातोंसे कमर को लपेट कर शीतल को कसकर पकड़ लिया. मेरी उंगलिया शीतल के मुलायम पेट पर छू रही थी.
पीछे मेरा शरीर पूरा शीतल के शरीर को चिपका हुआ था. अंदर अँधेरा भी था तो और मजा आने लगा. मेरा तना हुआ लंड में कसकर शीतल की गांड पे दबा रहा था. भीड़ हिलने के साथ शीतल की गांड पे लंड को पटक रहा था.
एक बार के बाद मुजसे रहा नहीं गया और मेने सीधा शीतल के स्तनों को दबा दिया. शीतल ने मेरा हात अपनी साडी के अंदर छुपा दिया। हम खड़े थे तबतक में शीतल के स्तनों को दबाये जा रहा था.
आहहह. श्श्श्श. कोमल स्तनों को दबाने में बहोत मजा आ रहा था.
जैसे भीड़ आगे बढ़ी मेने हात निचे ले लिए. अब मेरा पूरा ध्यान शीतल के शरीर पर घूम रहा था. में ऊपर से निचे तक अपना हात शीतल के शरीर पर छू रहा था.
कुछ दूर अंदर आने के बाद जब कोने में हम थे, उस भीड़ के बिच मेने अपना एक हात पीछे लिया और शीतल की बड़ी गांड को दबाने लगा.
अहहहह. साली की गांड भी मस्का थी. दबाने में बहोत मजा आ रहा था. शहहह अअअ
आखिरकार हम मंदिर में पहोच गए. मेने किसी तरह अपने खड़े लौड़े को छुपाया.
दर्शन लेकर जैसे बाहर निकले. मनीष ने कहा की तुम अभी हमारे साथ घर चलो. खाना खाते हे सात में.
पहले तो मेने मन किया. ताकि मनीष को शक ना हो. लेकिन शीतल ने जैसे मेरी तरफ देखा मेने हा कर दिया. शीतल की नशीली आखे सब कह रही थी.
वहा से हम टैक्सी लेकर मनीष के घर पोहचे.
मनीष का घर एक आलीशान बिल्डिंग में १२ वे मंजिल पे था. ३ बीचके का कमरा था. अंदर आये हम.
शीतल ने मुझे पानी दिया और अंदर चली गयी.
मे सोफे पे बैठा था. सामने टीवी चल रहा था. मनीष किसी से फोन पे बात कर रहा था. बात करते करते अंदर चला गया.
तभी शीतल किचेन से बाहर आयी. हमने एक दूसरे को देखा. जानबूझकर वो मेरे सामने टेबल पे रखी मैगजीन समेट ने लगी. मेरी तरफ पीठ करके खड़ी थी.
मेने देखा मनीष दूर बाहर की तरफ बालकिनी में खड़ा होकर किसी से फोन पे बात कर रहा है. मेने सोचा यही मौका है. में तुरंत उठकर शीतल के पीछे गया और उसे कसकर पकड़ लिया.
शीतल ने आह भरी. में शीतल को पकड़कर उसके गले पे चूमने लगा. दोनों भी मदहोश हो चुके थे. शीतल की गर्दन और कंधो पे होठ घुमाते हुए मेने अपने हात सीधा उसके स्तनों पे ले आया और जोर जोर से शीतल के स्तनों को दबाने लगा. अहःअहः
अह्ह्ह हः अहहह. उफ्फफ्फ्फ़.
शीतल भी छटपटाने लगी. फिर मेने शीतल को पलटा और मेने शीतल के होठो को चुम लिया. अहःअहः. शीतल भी भरी पड़ी थी. उसने मेरी गर्दन पे दोनों हात रखे और लिपटकर मुझे चूमने लगी. देखकर ही लग रहा था की पति से वो खुश नहीं है.
हम दोनों पागलो की तरह चुम रहे थे. और में मनीष की आवाज सुनकर अंदाजा लगा रहा था की वो अभी भी दूर है.
उम्म्म्म उम्म्म्म उम्म्म अहहहह अहाः
होठोंको चूमते हुए मेने शीतल के गाल चूमे, उसकी गर्दन को चूमते हुए निचे पोहचा तो उसका पल्लू निचे गिर गया. शीतल के स्तनों के बिच की दरार मेरी नजरो में बैठ गयी. मेने दरार में चूमना सुरु किया.
स्तनों को दोनों हातोंसे से दबा दबा कर चुम रहा था.
निचे मेरा लंड फनफना रहा था. मुजसे रहा नहीं गया. मेने शीतल को पीछे किया. उसके सामने अपनी पेंट खोली और अपना लौड़ा निकाल कर दे दिया. शीतल ने जैसे ही लौड़ा देखा वो सीधा निचे बैठी और मुँह में लौड़े को लेकर चूसने लगी.
आहहह. लौड़े को शीतल ने मुँह में ले लिया। हाहाःहाहा. अहहहह. शीतल को लौड़ा चूसना अछि तरीकेसे आता था. वो पुरे लौड़े को अपने मुँह में लेकर चाटने लगी. अहहहहहह
शीतल को अपना लौड़ा चूसते देख बहोत ख़ुशी हो रही थी. शीतल ने पूरा लौड़ा चूस लिया।
इसके पहले के मनीष वापस आये. मेने शीतल का सर दोनों हातोंसे से पकड़ा और लौड़े को शीतल के मुँह में डालकर उसका मुँह चोदने लगा. अहःअहः. उफ्फ्फ.
पच पच पच। …. शीतल के मुँह में मेरा लौड़ा अंदर बाहर हो रहा था.
तभी मनीष के फोन रखने की आवाज आयी. मेने तुरंत अपना लौड़ा पीछे लिए. पैंट के अंदर डाला. शीतल भी खड़ी हुई और अपने साड़ी का पल्लू ठीक करके अंदर किचेन में चली गयी.
में सीधा सोफे पे बैठ टीवी देखने लगा. मनीष आया. हमारी बाते चलने लगी.
मुझे कोई इंटरेस्ट नहीं था मनीष से बाते करने का. मेरी नजर किचेन की तरफ थी.
शीतल काम करते हुए मेरी नजर के सामने अंदर बाहर आ जा रही थी.
शीतल और मेरी आँखे भी मिली. दोनों भी अंदर से एक दूसरे के करीब आने के लिए तड़प रहे थे.
मनीष और मेरी कॉलेज की वक्त की बाते चल ही रही थी के तभी घर का फोन बजा.
मनीष उठकर फोन लेने चला गया. वो फोन बिल्डिंग के सिक्योरिटी गार्ड का था.
मनीष ने अपनी गाड़ी को ठीक से पार्क नहीं की थी. दूसरी गाड़ी को निकलने के लिए जगा नहीं थी.
तो मनीष ने फोन पे कहा में चाभी लेके आता हु निचे.
जैसे ही मुझे पता चला की मनीष निचे जा रहा है. मेरे मन में ख़ुशी के पठाके फूटने लगे.
मनीष ने मुझे कहा में जाकर आता हु. वो अंदर किचेन में जाकर शीतल को भी कहकर आया.
जैसे ही मनीष घर के बाहर जा रहा था. शीतल अंदर से बाहर आयी.
हमने एक दूसरे की और देखा. मनीष बाहर चला गया. शीतल ने थोडासा दरवाजा खुला रखा था और मनीष को जाते हुए देख रही थी. जैसे ही लिफ्ट का दरवाजा बंद हुआ और मनीष निचे जाने लगा.
शीतल ने तुरंत घर का दरवाज बंद किया।
जैसे ही शीतल पीछे मुड़ी. हम दोनों की आँखे मिली, दोनों की सासे चढ़ने लगी. दोनों के चेहरे पे हवस साफ दिख रही थी.
शीतल दौड़कर मेरी तरफ आयी और कसकर मुझे गले लगा लिया.
मेने भी शीतल को कसकर पकड़ा और होठोंको चूमने लगा. आहहहह. उम्मम्मम. उम्म्म
हम दोनों को पता था की ज्यादा वक्त नहीं है हमारे पास. मनीष कभी भी आ सकता है.
मेने शीतक के होठोंको अछि तरह चुम लिया. फिर सीधा वही सोफे के करीब जमीनपर कार्पेट के ऊपर लिटा दिया. होठो से चूमते हुए स्तनों को दबाने लगा. शीतल ने अपना ब्लाउज़ खोल दिया.
स्तन जैसे बाहर निकले मेने सीधा निप्पल को चूसना सुरु किया. दोनों हातोंसे से गोरे गोर स्तनों को दबाते हुए निप्पल चूस रहा था. अह्हह्ह्ह. क्या स्तन थे शीतल के. बड़े और मुलायम।।। अपने मुँह को स्तनों पे दबा दबा कर में निप्पल चूस रहा था. आहहहह आहहह उम्म्म्म
फिर निचे सरका और सीधा शीतल की नाभि को चाटने लगा. अहहहह. उम्म्म अम्म्मा. शीतल के पेट पर चूमने लगा. अहःअहः अहहह… अहहह..
शीतल छटपटाने लगी.
उसकी छटपटाहट में साड़ी ऊपर हो गयी और शीतल की गोरी जांग दिखने लगी. मेने साडी को और ऊपर उठाया और सीधा शीतल की जांग चाटने लगा. आह्ह्ह्ह. जांग काफी मास से भरी हुई थी. गोरी जांग को चाटते हुए मेरी नजर शीतल की निक्कर पर पड़ी. लाल रंग की निक्कर पहनी थी.
मेने दोनों हातोंसे निक्कर पड़की और खींचकर निचे उतार दी.
जैसे ही निकर निकली. शीतल की चूत मेरे सामने आयी. अहहहह.. क्या चुत थी. अहहहह
चुत देखते ही मुँह में पानी आ गया. मेने सीधा अपना मुँह चुत पे रखा और जीभ से चुत चाटने लगा. अहहहह अहहह. उफ्फ्फ्फ़. अहाहा
उम्मम्मम मममममममम
शीतल की छ्टपटाहट देख पता चल रहा था की उसकी ख़ुशी चर्म सिमा पे थी. जैसे ही मेने जीभ को चुत में डाला, शीतल ख़ुशी से उछल ने लगी. मेरा मुँह अपनी चुत में दबाने लगी.
अपने पैरोंसे कैची बनाकर मुझे अपनी चुत में अंदर घुसेड़ने लगी. शीतल काफी दिनों से भुकी थी शायद. में चुत को चाटते हुए अपनी एक ऊँगली को चुत में अंदर बाहर करने लगा.
अहःअहः. चुत चिप चिपा पानी छोड़ रही थी. में सारा पानी चाट गया.
चुत को अछि तरह चाट के पीछे हटा. अपनी पेंट खोली और पेंट को निचे उतार कर लौड़े को बाहर निकाल लिया.
तने हुए लौड़े को धीरेसे शीतल की चुत में डाला और ऊपर लेट कर शीतल को चोदने लगा. अहहहहह
शीतल के चेहरे पे बदलते भाव देखते हुए लंड को चुत में धकेल रहा था. अहहहहह अहःअहः. अहहहह
मेने जोर जोर चोदना सुरु किया. अहह अहहहह अहहहह. अहःअहः. शीतल की आवाज निकल ने लगी. अहहह अहहह अहहह ाःहाहा.
मन में आया दोस्त की बीवी को चोदने में क्या मजा आ रहा है.
अहहहहहहह अहहह. अहहह अहहह. उफ्फ्फफ्फ्फ़
शीतल के स्तनों को चूसते हुए निचे से चोदे जा रहा था. लौड़ा काफी तन गया था. पूरा अंदर तक चुत में जाकर बाहर आ रहा था.
अहह. उफ्फ्फ्फ़. अहहह
चुदाई चल ही रही थी के तभी बाहर से कोई आवाज आयी. हमें लगा मनीष आ गया. तो हम डर के मारे तुरंत खड़े हो गए. शीतल ने अपनी साड़ी ठीक की. मेने भी लौड़े को पैंट के अंदर धकेल दिया और सोफे पे बैठ गया.
शीतल जल्दबाजी में अपनी निक्कर जमीन पर ही भूल गयी. मेने तुरंत उठा ली और अपने जेब में डाल दी.
हम कुछ देर शांत रहे. लेकिन दरवाजेकी घंटी नहीं बजी.
शीतल ने धीरेसे दरवाजा खोला और बाहर झाका तो पता चला सामने के घरमे एक औरत आयी थी. वो उनके दरवाजा खोलने की आवाज थी.
शीतल ने दरवाजा फिर से बंद किया और मुझे कहा की सामने के घर की आवाज है.
में तुरंत खड़ा हुआ. शीतल की तरफ गया. और उसको एकबार फिर से कसकर होठोंको चूमा। फिर पास में जो सोफा था वही उसको झुकाकर खड़ा किया. शीतल सोफे को पकड़कर झुककर खड़ी हुई.
मेने पीछे से शीतल की साड़ी ऊपर उठा ली. शीतल की बड़ी गोरी गांड दिखने लगी. गांड सुन्दर गोल आकर की थी. मुजसे रहा नहीं गया और मेने जोर से शीतल की गांड पे दो चपेट मारी
फिर अपने लौड़े को बाहर निकालके सीधा शीतल की चुत में डाल दिया. अह्हह्ह्ह्ह
लौड़ा सीधा शीतल की चुत में चला गया. आआह्ह्ह्ह…
फिर से में शीतल को चोदने लगा. अहह. अहाहा. अहःअहः.
अहःअहः. अहहहहह.
शीतल भी आवाज करने लगी. अहहहह ाहाःहाहा. अहःअहः
मेरा लौड़ा कभी भी पानी छोड़ सकता था. तो मेने शीतल की कमर को दोनों हातोंसे कसकर पकड़ लिया और जोर जोर से शीतल को चोदने लगा
अहःअहः. अहःअहः. उफ्फ्फ्फ़. अहःअहः अहःअहः ाहाःहाहा
लौड़ा जैसे ही पानी निकालने वाला था. मेने तुरन्त लौड़े को बाहर खींचा और शीतल को सीधा सामने बिठाके अपना लौड़ा उसके मुँह में दे दिया. शीतल लंड को चूसने लगी और मेने अपना पानी शीतल के मुँह में गिरा दिया.
शीतल पूरा पानी पि गयी. आहहहहहअहहहह
अहहहह अहह हाहाः उम्म्म्म आमम्माम
मेरा लौड़ा शांत होने लगा. दोनों ने अपने कपडे ठीक किये और बैठ गए.
कुछ ही देर में मनीष आया.
मनीष को कुछ भी पता नहीं चला. उस दिन दोस्त की बीवी को चोदने में बहोत मजा आया.
